Book Title: Sramana 1996 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 115
________________ श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९६ : ११३ की तथाकथित मानसिकता! जबकि हर धर्म जो जीवित है वह श्रद्धा की ऊँचाई और निष्ठा की गहराई बताता है। इसलिये धर्मों में सही अन्तर वैमनस्य के आधार पर नहीं, सहज समझदारी के आधार पर हो सकता है। शोक समाचार डॉ० मधु सेन दिवंगत जैन विद्या की विशिष्ट अभ्यासी और गुजरात विद्यापीठ ‘अहमदाबाद के इतिहास एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख तथा अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्या केन्द्र की नियामक डॉ० मधु सेन का दिनाङ्क १४/५/९६ को पूना में दुःखद निधन हो गया। आप पिछले कुछ माह से कैन्सर से गम्भीर रूप से पीड़ित थीं। ज्ञातव्य है कि स्व० मधु बहन ने पार्श्वनाथ विद्यापीठ से ही अपना शोधकार्य किया था। जैन विद्या के क्षेत्र में देश और समाज को उनसे अनेक अपेक्षायें थीं। उनके निधन से हुई क्षति की पूर्ति होना कठिन है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार अपनी पूर्व छात्रा और अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान् स्व० डॉ०मधु सेन को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है। डॉ. जितेन्द्र बी०शाह को मातृशोक पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व छात्र तथा प्राकृत भाषा और साहित्य के गहन अध्येता तथा शारदाबेन चिमनभाई एजुकेशनल रिसर्च सेन्टर, अहमदाबाद के नियामक डॉ० जितेन्द्र बी०शाह की पूज्य मातृश्री का पिछले दिनों अहमदाबाद में निधन हो गया। विद्यापीठ परिवार उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है। शोक समाचार अम्बाला : जैन जगत् के प्रसिद्ध समाजसेवी, धर्मपरायण सुश्रावक लाला ओमप्रकाश जैन का ७५ वर्षों की आयु में १-८-९६ को संक्षिप्त बिमारी के बाद स्वर्गवास हो गया। अम्बाला की प्रसिद्ध पी०के०जैन शिक्षा संस्था की स्थापना और उसके विस्तार में उनका अपूर्व योगदान रहा। उनके पुत्र श्री अरुण कुमार जैन पिता के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। उन्होंने अपने पूज्य पिताश्री की स्मृति में २०१५०१ रुपयों की राशि दान आदि के लिये निकाल दिया है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार स्वर्गीय श्री ओमप्रकाश जैन को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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