Book Title: Sramana 1996 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 112
________________ श्रमण/ / जुलाई-सितम्बर/ १९९६ पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सम्पन्न हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता धर्म - आगम विभाग, प्राच्य विद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो० कमलेश दत्त त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर जैन विद्या के बहुश्रुत विद्वान् प्रो० कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, जयपुर, प्रो० राजाराम जैन, अध्यक्ष - कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली; डॉ० अशोक कुमार जैन, प्रो० भौतिकी विभाग, रुड़की विश्वविद्यालय; डॉ० नन्दलाल जैन, रीवा, डॉ० प्रेमचन्द्र जैन, नजीबाबाद; डॉ० सुदर्शन लाल जैन, संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आदि अनेक विद्वान् बड़ी संख्या में उपस्थित थे। डॉ० फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी' जैन दर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण दिया। विद्यापीठ के उपनिदेशक प्रो० सुरेन्द्र वर्मा ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया तथा उन्हें संस्थान के गतिविधियों की जानकारी प्रदान की। अन्त में प्रो० वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। ११० : सम्पूर्ण व्यवस्था विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने की जिसकी सभी ने सराहना की । आचार्य श्री शांतिसागर महाराज का ४१वां समाधि दिवस मनाया गया दिगम्बर जैन समाज, इन्दौर, चातुर्मास समिति के तत्त्वाधान में, परम पूज्य मुनिश्री क्षमासागरजी महाराज एवं एलकद्वय श्री उदारसागरजी तथा सम्यवत्वसागरजी के सान्निध्य में मुनिमार्ग के पुनर्स्थापक चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज का इकतालीसवां समाधि दिवस, १४ सितम्बर, शनिवार को, समवशरण मंदिर कंचनबाग में धर्माचरण के साथ उल्लासपूर्वक मनाया गया। समाधि दिवस की इस सभा का शुभारंभ प्रो० कमल कुमार वेद के आध्यात्मिक पद से हुआ। आचार्य श्री शांतिसागरजी के चित्र का अनावरण श्री सुन्दरजालजी जैन ( बीड़ीवाले) ने किया एवं दीप प्रज्जवलन श्री धनराजजी कासलीवाल ने किया। श्री दीपचंदजी छाबड़ा, पं० श्री रतनलालजी शास्त्री, कमलाबाई पांड्या माँ साहिबा एवं पद्मश्री श्री बाबूलालजी पाटोदी ने अपनी विनयपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सभी को सम्बोधित किया एवं अनेकों संस्मरणों से आचार्यश्री की प्रत्यक्षता का आभास कराया। श्री पाटोदी ने कहा कि इन्दौर में तिलोकचंद जैन हाईस्कूल में उनके दर्शन एवं सान्निध्य का अवसर प्राप्त हुआ। वे सचमुच अद्भुत आचार्य संत थे। सुश्री कमलाबाई म साहब ने कहा कि आचार्यश्री के समाधि अवसर पर उनके दर्शन का लाभ मिला, सम्यक् चारित्र के प्रत्यक्ष प्रमाण आचार्य श्री थे। श्री रतनलालजी शास्त्री ने कहा कि उन्हें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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