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पृष्टार
.. ४ देना लिखा है। मरीचि आदिषि और सनकादि
योमियों ने भी प्रातःकाल सूर्य को अर्घ्यदान देना बताया ह। जो मनुष्य अर्घ्यदान नहीं करता है
वह नरक में जाता है (४-१६ )। स्नान करने को ___- विधि और स्नान करने के मन्त्र बताये गये हैं
(१७-३३)। तीन पानी की चुल्लू पीना और पानी की अञ्जली सिर पर डालना। कुशा को हाथ में लेकर पूर्व की ओर मुख करके प्रोक्षण करे ( ३४-३८)। प्राणायाम और गायत्री के मन्त्र जपने की विधि। जपके मन्त्र का उच्चारण करने का विधान । जप के तीन मुख्यभेद वाचिक, उपांशु और मानस। जप करने से देवता प्रसन्न होते हैं यह बताया गया है। जो नित्य गायत्री का जप करता है वह पापों से छुट जाता है। गायत्री जप करने के बाद सूर्य को पुष्पाञ्जलि दे
और सूर्य की प्रदक्षिणा कर नमस्कार करे पश्चात् तीर्थ के जल से तर्पण करे (३६-५०)। ब्रह्मयज्ञ के मंत्रों का वर्णन (५१-५४)। अतिथि पूजन और वश्वदेव की विधि बताई है (५५-६२)। पहले सुवासिनी स्त्री और कुमारी को भोजन करावे फिर बालक और वृद्धों को भोजन करावे तब