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अध्याय प्रधानविषय
..पृष्ठाङ्क ७ पक्ष की एकादशी में उपवास व्रत, रात्रि जागरण
और द्वादशी को द्वादशाक्षर मंत्र का जप, भगवान् का पूजन, देवर्षियों के तर्पण का विधान बताया है (७०-६०)। वैष्णवी इष्टी (यज्ञ) का विधान बताया है। उनके मन्त्र, उनकी सामग्री और वैष्णव गायत्री का जप बताया है (६१-१०५)। शुक्लपक्ष की द्वादशी, संक्रान्ति और ग्रहण के समय संकर्षणादि की मूर्ति, वासुदेव की मूर्ति का पूजन
और किस प्रकार किस देवता की मूर्ति बनानी तथा पूजन बताकर वैभवी इष्टी का विधान बताया है। यह वैष्णवी यज्ञ जो विष्णु भक्त न करे उसको पाप बताया है। इसमें कहाँ पर किस देवता की स्थापना करनी चाहिये उनका वर्णन बताया है। शुक्लपक्ष की शुक्रवारीय द्वादशी को पानी इष्टी का विधान बताया है। इसमें भगवान् का उत्सव और उसका माहात्म्य बताया है। जलशायी भगवान् का पूजन बताया है और इनके मन्त्र बताये हैं। दोलयात्रा उत्सव का वर्णन बताया है। भगवान् का विशेष प्रकार से पूजन, विशेष प्रकार से भोग