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।। श्री सत्य विजयनग्रन्थमाला नं. ६ ।।
॥ अहम् ॥ ॥ जगत्पूज्य परमगुरुश्रीषिजयनीतिसूरीश्वरपादपणेभ्यो नमः ।।
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sm परमार्हत श्रीनेमिचन्द्रभाण्डागारिकविरचितं महोपाध्यायश्रीगुणरत्नगणिसन्दृब्धवृत्तियुतम् ॥
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॥ षष्ठिशतक प्रकरणम्॥ 00000000000000000000
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॥ मङ्गलाचरणम् ॥
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जयति श्रीऋषभजिनो, यन्नखचिन्तामणिप्रभाभिरिह । जगदुद्योते विहिते, सम्यग्मार्गः स्फुटो भवति ॥१॥
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