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१९६९ में मास्को में विश्व शान्ति परिषद् में जैन-धर्म प्रतिनिधित्व किया और समतामूलक जैनधर्म के 'साम्यभाव' पर व्याख्यान दिया। मास्को रेडियो में भी व्याख्यान देने का अवसर मिला और रशिया में कई नगरों का पर्यटन करने का भी मौका मिला ।
१९७४-७५ में भगवान महावीर २५वीं निर्वाण शताब्दी महोत्सव की राष्ट्रीय समिति के एक मंत्री रहे और महोत्सव की सफलता में सक्रिय सहयोग दिया ।
१९८५ में जैन मिलन इन्टरनेशनल, दिल्ली की संस्था ने शान्तिभाई की सेवाओं का आदर करते हुए 'सन्निष्ठ समाजसेवी' की उपाधि प्रदान की ।
आज ७५ वर्ष की आयु में भी निवृत्तिमय जीवन में इनकी राष्ट्र, समाज एवं धर्म की सेवा सतत चल रही है ।
१६२७ से सन्निष्ठ, मेरे सहृदयी साथी और परममित्र
आध्यात्मिक जीवनशिल्पी सत्पुरुष पू० श्री कानजी स्वामी को श्रद्धांजलि
पूज्य श्री कानजी स्वामी की सेवा में चि० दीपक कुमार, श्री शान्तिभाई एवं श्री जेठालाल दोशी
श्री शान्तिभाई शेठ का गुणानुवाद करके मैं धन्यता अनुभव करता हूँ ।
शान्तिभाई में साम्प्रदायिक भाव कभी रहा नहीं है। जो भी किया है वह समन्वय दृष्टि से किया है। यही कारण है कि उन्होंने अपने प्रशंसकों की बड़ी मंडली प्राप्त की है । यही उनकी प्रतिष्ठा है ।
श्री शान्तिलाल शेठ ने जहाँ और जो भी काम किया है, पूरी निष्ठा और तन-मन लगा करके किया है और अपने साथी और मित्रों का प्रेम संपादन किया है । कभी अर्थलोलुप नहीं रहे । केवल अपनी रुचि के अनुसार कार्य करने का सोचा है । : जो भी कमाया है वह उनके सुपुत्रों की बदौलत है । घर में उनकी पत्नी दया बहिन की धार्मिक सन्निष्ठा और अतिथिसेवा का परिचय अनेक मित्रों को हुआ है । हम चाहते हैं कि श्री शान्तिभाई शतायु हों और राष्ट्र, समाज एवं धर्म की सतत सेवा करते रहें । — दलसुख मालवणिया
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पूज्यश्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री दलसुखभाई एवं श्री शान्तिभाई
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