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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के .
सप्तसूत्री शिक्षाएँ
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नीचे लिखे दुष्कर्मों से अपने आपको बचाओ।
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(१) बिना सिद्धान्त की राजनीति ।
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(२) बिना काम किये धन-संचय । (३) बिना नैतिकता के व्यापार।
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(४) बिना चरित्र निर्माण के शिक्षा।
(५) अन्तरात्मा के विरुद्ध आनन्द लूटना ।
(६) बिना मानवता के विज्ञान का प्रयोग।
(७) बिना त्याग-भाव के पूजापाठ ।
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अन्तर मम विकसित करो अन्तरल है ! अन्तर मम विकसित करो अन्तरतर हे ! निर्मल करो, उज्ज्वल करो, सुन्दर करो हेजाग्रत करो, उद्यत करो, निर्भय करो हे, मंगल करो, निरलस निःसंशय करो हेयुक्त करो हे सवार संगे, मुक्त करो हे बंध, संचार करो सकल कर्मे शान्त तोमार छंदचरण-पद्म मम चित्त निष्पंदित करो हे, नंदित करो, नंदित करो, नंदित करो हे--
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--विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टागोर
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