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प्रशस्ति/समन्त भद्र, दिल्ली,
वनमाली के सुरकानन के,
शान्तिसुमन सौरभ छविमान, पुण्डरीक पुरुषोत्तम अक्षर
सुधी-गगन के रवि दिनमान । करुणाप्रवण सुमित्र अलौकिक
गुणीप्रमोद सुदर्शन रूप, सित माध्यस्थवृत्ति संस्थानक
न्यायतीर्थ युगपुरुष अनूप । परमानन्दसहोदर ऋजुतम
विद्यारसिक हंसमतिमान, ऋचाछन्द विज्ञानमहोदधि
पारमिता के शुभ अवदान । प्रज्ञापुत्र मुदित श्वेताम्बर
जिनमार्गी जिनप्रिय जिनदास, भावश्रमण दीक्षित नरनागर
मानवता के तीर्थ प्रभास । सत्यकाम वाग्मी मधुराकृत
पुरुषार्थी प्रतिदान-प्रसून, प्रीतिपथी-सन्मति पथ-दर्शक
बोधिबीज साधक अन्यून । ब्रह्मयोनि ब्राह्मण प्राचेतस्
श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ विद्वान्, शान्ति निकेतन-स्नातक गुरुकुल
कवि रवीन्द्र के रूप महान् । वैय्यावृत्त्यविशिष्ट सुहृद्वर
वन्दन अभिनन्द अभिषेक, अमतनयन महोत्सव अमृत
वचनामृत धृतिक्षमा विवेक ।
श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ का अप्रतिम व्यक्तित्व, आचार में अहिंसा और विचार में अनेकान्त का बहुआयामी दर्पण है जिसमें कालजयी पुरुष की निष्काम भावना और तपस्यारत मानस का पारदर्शी बिम्ब चित्ताकाशसूर्य की गरिमा समाहित किये हुए हैं। गुजरात के ग्रामीण परिवेश में जन्मे, गुरुकुल में शिक्षित हुए और समावर्तित हुए विश्वकवि रवीन्द्रनाथ के शान्ति निकेतन के विश्रुत विद्वान् स्वनामधन्य श्री विधुशेखर भट्टाचार्य के श्रीचरणों में, विद्याभूमि काशी में पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध-संस्थान के ज्ञानस्थविरद्वय पण्डित बेचरदास दोशी एवं पण्डित सुखलाल संघवी के निर्देशन में जैन धर्म-दर्शन का विशद अध्ययन किया और शाश्वतज्ञानतीर्थ की जंगमधारा के रूप में भगीरथ की निष्ठा लिये अनेकानेक जैनों ही नहीं, जैनतरों को भी ज्ञान दिया। ७५ वर्ष की परिपक्व अवस्था में भी युवकोचित उत्साह लिये आपका गरिमामय व्यक्तित्व पारसमणि के रूप में समाज को उपकृत किये हुए हैं। हमारा परम सद्भाग्य है कि हमारी नई पीढ़ी प्रज्ञापुरुष जैनन्यायतीर्थ श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ के अमृत-महोत्सव समारोह में सम्मिलित हो रही है।
-इन्द्रचन्द्र कर्णावट, अध्यक्ष , अन्तर्राष्ट्रीय जैन कांग्रेस
श्री शान्तिभाई बड़े मिलनसार और कर्मठ व्यक्ति हैं। आपमें अद्भुत सर्जन-शक्ति है । शून्यमें से बड़ा सर्जन कर लेते हैं। इस उम्रमें भी आपका समाज तथा देश-सेवा का अदम्य उत्साह जवानों को भी शर्मा देने वाला है । व्यक्ति की शक्ति को पहचानने की आपमें अद्भुत क्षमता है । इसी कारण आप का व्यक्तित्व और कर्तृत्य की छाप समाज पर अमिट है।
आप अपने जैनधर्म के महावीर भगवान के अनेकान्तवाद से प्रेरणा लेकर पू०गांधीजी तथा पू० काकासाहेब के 'सर्वधर्मसमन्वय' का उद्देश्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं।
आप की सफलता की बुनियाद में आपकी धर्मपत्नी सौ. दया बहन का सक्रिय सहयोग रहा है। दया बहिन स्वयं धार्मिक वृत्ति की सेवामूर्ति और सिद्धान्तनिष्ठ महिला हैं।
ऐसे सेवानिष्ठ श्री शान्तिभाई का अमृतोत्सव सफलतापूर्वक संपन्न हो और भगवान उन्हें अच्छा स्वास्थ्य दें, शतायु करें और उनके हाथों समाज और देश की सेवा सतत होती रहे यही प्रार्थना है।
सम्पादन में जमा चके जो 'जैनप्रकाश' वाली पैठ जैन समाज में तटस्थता की जिनकी चलती है ऐंठ, नमन उन्हें वे जिएँ पचत्तरगुणित पचत्तर साल ठेठ, ज्ञानी, दानी, सरल, शान्त, शान्तिलाल वनमाली शेठ
कृपाभिलाषी-गोपीलाल 'अमर', दिल्ली
-हसमुख व्यास, सचिव, आ० कालेलकर स्मारक-निधि
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