________________
AUTITLE
श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ अमृतमहोत्सव समारोह-स्मारिका
सन्मति-साहित्य सर्वोपयोगी सन्मति-साहित्य-प्रकाशन योजना जैनधर्म के सिद्धान्त सार्वभौम, सर्वोपयोगी एवं सार्वजनीन हैं । जैनधर्म में अहिंसा, अनेकान्त, अपरिग्रह आदि मानवतामूलक सिद्धान्त
सर्वोदयकारी होने से वह सर्वमान्य मानव-धर्म है। हम ऐसा सन्मति-साहित्य प्रकाशित करना चाहते हैं, जो१-सर्वोपयोगी-जैन-जनेतर सभी को उपयोगी हो, २-असाम्प्रदायिक हो-सन्मति साहित्य में साम्प्रदायिकता न हो,
३-जैनधर्म के सर्वमान्य-सिद्धान्तों का अनुकूल एवं पोषक हो। यह सन्मति-साहित्य-योजना समग्र जैन समाज-स्पर्शी योजना है। जैन-समाज को जो साहित्यिक धरोहर विरासत में मिली है उसका सार्वत्रिक प्रचार करना इस
योजना का मुख्य उद्देश्य है।
RON
BREFEEL
3
........
READICALCUREMEDICTIMALLA
A
LL...11211
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org