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स्थान पर करना चाहिए जिसमें भारत के प्रमुख व्यक्तियों श्री शान्तिभाई मेरे आत्मीय बन्ध हैं। उनकी प्रशंसा को आमंत्रित किये जाना चाहिए और उसमें समाजोपयोगी में कुछ भी लिखना आत्मप्रशंसा हो जाती है। उनका सर्वधर्मसेवायोजना को मूर्त रूप दिया जाना चाहिए, ऐसा मेरा नम्र समभाव का आदर्श अनुकरणीय है। मंतव्य है।
-विपिनभाई बडोदरिया, दिल्ली --सतीश कुमार जैन, नई दिल्ली श्री शान्तिभाई के साथ वर्षों पर्यन्त श्री अ०भा० श्वे. यह बड़े हर्ष का विषय है कि विद्वान्-समाज के प्रयत्नों स्था० जैन कॉन्फ्रेन्स के मंत्री के रूप में हम दोनों ने कंधे से से समाजसेवी 'समाज-रत्न' श्री शान्तिभाई के राष्ट्रीय एवं कंधा मिलाकर सामाजिक कार्य किये हैं। आज गंगा-यमुना सामाजिक कार्य आदर्श रूप में जनमानस के समक्ष आने से के संगम के भाँति हम दोनों का पुनः सेवा-संगम यहाँ हो उत्साह बढ़ेगा और प्रेरणादायी सिद्ध होंगे। मेरी शभकामनाएँ गया है यह हमारा सौभाग्य है। मैं अपने बड़े भाई के इस स्वीकार करें।
अमृतोत्सव के पावन-प्रसंग पर उन्हें अभिनंदन के साथ
-फलचंद जैन, दिल्ली अभिवंदन करता है। सन् 1956 से 1960 तक मुझे श्री शान्तिलाल भाई
-रामनारायण जैन, दिल्ली के साथ कार्य करने का अवसर मिला है और तब से अब तक श्री शान्तिभाई ने केवल जैन समाज के ही नहीं अपितु उनके साथ मेरे सम्बन्ध निरन्तर प्रगाढ़ हुए हैं।
समग्र मानव-समाज के प्रखर सन्निष्ठ समाजसेवी के रूप में जैनधर्म के प्रचार-प्रसार, उन्नयन एवं संवर्धन में शान्ति- विविध क्षेत्रों में जो निष्काम सेवा की है, वह वर्णनातीत है। भाई का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे एक कर्मठ कार्यकर्ता, संसारी होते हुए भी उनका जीवन सेवा-समर्पण से अथक सेवाभावी एवं जैन साहित्य तथा दर्शनके मर्मज्ञ विद्वान् सुवासित है। उनका सेवामय जीवन आज के नवयुग के लिए हैं। उनका व्यक्तित्व सुदर्शन तथा बहुआयामी है। ऐसे कर्म- प्रेरणास्रोत है। कंटकाकीर्ण मार्ग को उन्होंने प्रशस्त मार्ग योगी का अभिनंदन भावी पीढ़ी के कार्यकर्ताओं के लिए बना लिया है । उनका अभिनंदन एवं अभिवंदन करके हम निश्चित ही उत्प्रेरक और मार्गदर्शक होगा।
धन्यता अनुभव करते हैं। -भूपराज जैन, कलकत्ता
-छोटूभाई पटेल, दिल्ली भाई साहब श्री शान्तिलाल शेठ का अमृत-महोत्सव आत्मबन्धु श्री शान्तिभाई का सौजन्य, सौहार्द एवं का आयोजन व्यक्ति का नहीं, समाज का है। श्री शान्तिभाई स्नेहसिक्त सद्भाव मेरे लिए सदा स्मरणीय रहेगा। का सम्मान-अभिनंदन द्वारा नवोदित भावी पीढ़ी में समाज
-महासुखलाल जे० देसाई, बंबई सेवा के लिए प्रेरणा प्राप्त होगी। मैं इस आयोजन की पूर्ण सौजन्यमूर्ति श्री शान्तिभाई की अनेकविध समाज-सेवा सफलता चाहता हूँ।
का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। इस महत्त्व-शान्तिलाल पोखरणा, भीलवाड़ा पूर्ण कार्य में सहभागी बनने में मैं गौरव का अनुभव करता है। वीरपूजा-हमारी सभ्यता-संस्कृति का आदर्श रहा है।
-कान्तिलाल कोरा, बंबई श्री शान्तिभाई एवं सौभाग्यवती दयाबहिन-दोनों राष्ट्र- श्री शान्तिभाई के अमत-महोत्सव के प्रसंग पर 'सन्मतिसेवा, समाजसेवा एवं मानवसेवा में जीवन भर विनम्र सह- साहित्य-निर्माण की योजना' का कार्य संपन्न होने जा रहा यात्री रहे हैं।
है-यह पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई है। मैं इस समाजोउनकी सेवाओं एवं कर्तव्य का सम्मान होना ही पयोगी साहित्यिक कार्य की सफलता चाहती हूँ। चाहिए।
-भुवनेश्वरी भंडारी, इन्दौर -चंदनमल बनवट, आष्टा (म०प्र०)
श्री शान्तिभाई समाज के प्रत्येक सेवाक्षेत्र में सफलता सेवानिष्ठ सौजन्यमूर्ति श्री शान्तिभाई का हँसमुख चित्र प्राप्त कर अभिनंदन के अधिकारी बन गये हैं। मैं उन्हें इस · दष्टि समक्ष आते ही प्रमोदभाव पैदा होता है।।
अभिनंदन-समारोह के प्रसंग हर हार्दिक अभिवंदन करता हूँ। -जेठालाल एच० दोशी, सिकंदराबाद
--वेदप्रकाश जैन, नयाशहर (दोआबा)
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