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अनशन हेमचंदभाई की अध्यक्षता में कॉन्फरेन्स का अधिवेशन मात्र जिनविजयजी पं० सुखलालजी के संरक्षण में सफल शिक्षण संमेलन साधु-सम्मेलन की सफलता के लिए तन-मन-धन-संपत्ति और समय का भोग के परिमाण में सफलता की घोषणा। सम्मेलन के लिए सौराष्ट्र में मेरा परिभ्रमण गिरनार याता । जुनागढ के दीक्षोत्सव में प्रथम 'शिक्षा और दीक्षा' विषय पर व्याख्यान मेरी सगाई दयाकुमारी के साथ होने के समाचार | दुर्लभजी भाई का मार्गदर्शन दामनगर में आध्यात्मिक सन्त पू० कानजी स्वामी के प्रथमदर्शन से ही प्रभावित । १९३४ में लग्न खादी परिधानों में। लग्न के बाद संसारयात्रा । ब्यावर - गुरुकुल में अध्यापन । यहाँ की सांप्रदायिकता । छात्रालय की व्यवस्था । तीन वर्ष पर्यंत शिक्षण कार्य किया । गृहपतिपद सम्हाला । यहाँ संप्रदाय और धर्म के अनेक 'नाटक' किये। मेरे जीवन-संसार का यह भी एक नाटक था । श्री जयनारायण व्यास, टी. जी. शाह आदि के साथ अनेक 'स्वांग' रचे लेकिन संप्रदाय और तथाकथित धर्म के रंग से हमारा मन रंजित नहीं हुआ। यहाँ जैन शिक्षण संदेश और साहित्यमाला का प्रकाशन चालू किया। जैन साधुओं को पढ़ाया। पं० चंपक मुनिजी मात्र विद्या विशारद हुए बाकी का साधु शिष्य को वेश छुड़वाकर रवाना करना पड़ा। आखिरकार यहां के साम्प्रदायिक वातावरण से ऊबकर बंबई गया । मेरे संसार परिवार में एक सुपुत्री और चार सुपुत्र हैं। सभी परिवार सुखी और संपन्न हैं । चार पौत्र और चार पौत्रियाँ पढ़ते हैं। कुटुम्ब संसार यात्रा का संसरण, संस्मरण और विश्लेषण 'शान्ति यात्रा' पुस्तक में पढ़ सकेंगे ।
साहित्य यात्रा - १९३७ से १९४४
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बंबई में 'जैनप्रकाश' का सहसंपादन । बंबई में बिमारी से ग्रस्त । श्री दुर्लभजीभाई की प्रेरणा से जवाहिराचार्य के व्याख्यानों का संपादन प्रकाशन पूज्यश्री के विचार उदार लेकिन संप्रदाय के पू० बंधनों से आवद्ध मोरबी राजकोट - जामनगर में सपरिवार रहकर अनेक ग्रन्थों का संपादन। मुख्यतः श्री जवाहर व्याख्यान संग्रह भाग १ से ४ तक, धर्म और धर्मनायक, ब्रह्मचारिणी, साक्षात्कार, विद्यार्थी व युवकों से अहिंसा का राजमार्ग, जवाहर ज्योति, लघुदंडक, दीर्घतपस्वी महाबीर आदि साहित्य रचना | साहित्य का सत्कार अच्छा हुआ । राजकोट में पूज्य गांधीजी का पुनर्दर्शन । बड़े भाई के अत्याग्रह से बर्मा रंगून की यात्रा श्री वीरजी डाया, श्री शीवलाल देसाई, श्री कोरसीभाई, श्री तलकचंद देवचंद, श्री नरमेराम कोठारी, श्री चुनीभाई श्री हिंमतभाई श्री रायचंदभाई का निकट-परिचय वहां के प्रधानमंत्री ऊनू से बौद्ध महायान संबंधी चर्चा | चाईठो पर्वत और मोलमीन की यात्रा । व्यापार क्षेत्र में मन नहीं लगा, और वापिस अशरण की शरणभूत-व्यावर की पुनः शिक्षण-यात्रा ।
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व्यावार-गुरुकुल में सपरिवार आया। यहाँ पं० बेचरदासजी का ज्ञानलाभ । प्रो० ओलिवर लेकुम्ब का परिचय जैन साधु द्वारा मानव सेवा एवं शुचिता का कार्यारंभ-संबंधी विवाद गांधीजी की सत्प्रेरणा से सर्वोदय का कार्य मुनि श्री चैतन्यजी द्वारा प्रारंभ एक सामाजिक क्रान्ति का सूत्रपात । गुरुकुल के वार्षिकोत्सव के सामाजिक समारोह में समाज - नेतागण एवं महात्मा भगवानदीनजी, श्री जैनेन्द्र कुमारजी, श्री जयनारायणजी व्यास आदि का संपर्क-समागम ।
आ० श्री जिनविजयजी के साथ जेसलमेर में प्राचीन हस्तलिखित ज्ञान-भंडारों के दुर्लभ ग्रंथों की प्रतिलिपि लेखन और शोधकार्य का ज्ञानयज्ञ । छः माह जेसलमेर के रेतीप्रधान उद्यान में ज्ञान-पुष्पों की सौरभ से जीवन सुवासित । मुनि जिनविजयजी के अंतरंग जीवन का और म० महोपाध्याय के० के० शास्त्री की ज्ञानगरिमा का परिचय जेसलमेर के अमरसर और लोद्रवा तीर्थ के दर्शन महारावजी की अध्यक्षता में महावीर जयंती में व्याख्यान और ज्ञानचर्चा ।
शिक्षण यात्रा - १९४५ से १९५०
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व्यावर के साम्प्रदायिक वातावरण से मुक्ति पाकर श्री दलसुखभाई की सूचना और प्रेरणा
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