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मिशन को वहन करना होगा। तीनों प्रकार के सदस्यों के सभी देशवाले स्त्री-पुरुष (चाहे वे त्यागी-संन्यासी हों या कार्याधिकार मिशन निश्चित करेगा। महावीर-मिशन की मुख्य गृहस्थ हों) सभी की सेवा अपेक्षित है। कार्य-प्रवृत्तियाँ फिलहाल निम्नानुसार होंगी
देश-विदेश में जहाँ कहीं ऐसी अहिंसा एवं अनेकान्त १. अहिंसक समाज-रचना के लिए अहिंसा-शोधपीठ क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएँ चलती हों उनका समीकरण • चलाना।
किया जायगा, सहयोग लिया जायगा और कहीं भी २. अनेकान्त-विहार-विश्व-समन्वय के लिए स्थापित करना। विरोधाभास पैदा न हो ऐसा तालमेल बिठाकर पारिवारिक ३. सर्वोदय-तीर्थ की स्थापना (नारी-जागरण, अंत्योदय, वातावरण पैदा किया जायगा।
दलितोद्धार एवं पच्चीस लाख व्यक्तियों को व्यसन-मुक्त महावीर-मिशन का कार्यक्षेत्र सम्प्रदायातीत और बनाना आदि सर्वोदयकारी कार्य) करना।
विशाल होगा । मिशन के इस महान कार्य को कार्यान्वित ४. निरामिषाहार-भोजनालय-देश-विदेश में स्थापित करने के लिये किसी असाम्प्रदायिक, सेवामति, अहिंसाकरना।
परायण एवं अनेकान्त-समन्वय-संस्कृति के पूजक व्यक्ति को ५. गो-सेवा-सदन स्थापित कर गोवंश का संरक्षण एवं पसंद करना होगा फिर उन्हीं के मार्गदर्शन में यह विशाल संवर्धन करना।
समन्वय-कार्य संपन्न करना होगा। ६. अहिंसा और अनेकान्त का विश्व में व्यवस्थित प्रचार प्रारंभ में यह युगानुरूप अभिनव योजना, अनेक धर्म
करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व-समन्वय- नायकों, समाजसेवकों एवं कर्मठ कार्यकर्ताओं के समक्ष प्रस्तुत
सम्मेलन, प्रदर्शन, गोष्ठियाँ आदि का प्रबन्ध करना। की जायेगी, और सभी की सहानुभूति से महावीर-मिशन की ७. प्रतिष्ठित सभी धर्मों के प्रति समभाव एवं समन्वयभाव इस महान् योजना को मूर्तरूप दिया जायगा।
स्थापित करने के लिये देश-विदेश में जगह-जगह महावीर-मिशन को हम एक ऐसी सेवा-संस्था बनाना समन्वय-सदन (Harmony-Homes) स्थापित करना। चाहते हैं कि जो लोक-सेवक-समाज या रामकृष्ण मिशन जैसी
ऐसी सप्तविध कार्य-प्रवृत्ति को मूर्त स्वरूप देने के लिये विश्व में विश्वशान्ति और विश्वमैत्री स्थापित करने वाली जहाँ २५०० समन्वय-परायण साधक-सेवकों को अपना सेवा-संस्था बने । जीवन-दान देना होगा, वहाँ विद्वानों और श्रीमानों को भी मिशन के साथ 'महावीर' के नाम का इतना आग्रह नहीं अपना सक्रिय योगदान देना होगा।
है जितना उनके जीवन-कार्य को विश्वव्यापी बनाने का है। इस महावीर-मिशनमें सभी धर्मोवाले, सभी जाति वाले, (मंगल प्रभात के १ अक्टूबर, १९७३ के अंक में प्रकाशित) सुप्रसिद्ध सर्वोदयी सन्त
सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक
पूज्य बाबा श्री चेतनदासजी
डा० दौलतसिंह काठोरीजी के साथ श्री शान्तिभाई शेठ
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