Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 699
________________ ६५२ शब्दरत्नमहोदधिः। [कृष्टोप्त-कृष्णचूडिका कृष्टोप्त त्रि. (कृष्ट क्षेत्रे उप्तः) 31 अंतरम | कृष्णकापोती स्री. ते नामनी में. औषधि. વાવેલું ધાન્ય વગેરે. कृष्णकाय पुं. (कृष्णः कायोऽस्य) ५... कृष्ण पुं. (कर्षत्यरीन् महाप्रभावशक्त्या कृष्+नक्) कृष्णकाया स्त्री. (कृष्णकाय+टाप्) में स.. विनोत. नामनी में अवतार, वासुदेव -अथ | | कृष्णकाष्ठ न. (कृष्णं काष्ठमस्य) दारू यंहन - भाद्रपदे मासि कृष्णाष्टभ्यां कलौ युगे । - कृष्णकाष्ठकम् । अष्टाविंशतिर्जातः कृष्णोऽसौ देवकीसुतः ।। -ब्रह्मपु०, कृष्णकेलि स्त्री. ते नाम.नी. मे ३य औषधि. हेच.डीनन, कृष्ण, ३४व्यास -यो व्यस्य कृष्णकोहल पुं. (कृष्णकस्य कृष्णकर्मणः ऊहं वितर्क वेदांश्चतुरस्तपसा भगवानृपिः । लोके व्यासत्वमापेदे लाति ला+क) २., टुं २मना२.. कृष्णात् कृष्णत्वमेव च ।। -महा० १।१०५।१८, | कृष्णगङ्गा स्त्री. (कृष्णा चासौ गङ्गा च) दृष्यावे॥ ५२खम- कृषि वाचकः शब्दो णश्च निर्वृतिवाचकः ।। नामनी नही. तयोरैक्यात् परं ब्रह्म कृष्ण इत्यभिधीयते ।। कृष्णगतरोग पुं. नेत्रनी 31.80म में तनो. श्रीधरस्वामी, मध्यम ५isq. अर्जुन, जीयर पक्षी, रो. 032, tul 4g -बर्हिरिव मलिनतरं तव कृष्ण | कृष्णगति पुं. (कृष्णा गतिर्गतिस्थानमस्य) भनि . मनोऽपि भविष्यति नूनम् -गीत० ८, ७२महार्नु , आयोधने कृष्णगतिः सहायम्-रघु० ६।४२ । सा, संघारियु, दृष्य पक्ष. (न. कृष्+नक्) stmi भी यित्रानु, आ3. -मरिचं वेल्लजं कृष्णमूषणं धर्मपत्तनम् -भावप्र०, कृष्णगन्ध पुं. (कृष्ण उग्रो गन्धोऽस्य) स२गवान 3, કાળું અગર, અશુભ કર્મ, જુગારમાં મેળવેલ ધન, શોભાંજન વૃક્ષ. डाणु ४, सोढुं, मोरथुथु, मे तनो क्षार, कृष्णगन्धा स्री. (कृष्णगन्ध+टाप्) स.२०॥वीजीउaal. (त्रि.) uj.. इमाननानपरान् वृक्षानाहुर्येषां हितांस्त्वचः । पूतिकः कृष्णक पुं. (कृष्णप्रकारः कृष्ण+कन) 10 सरसव. कृष्णगन्धा च तिल्लकश्च तथा तरू: ।। (न. अनुकम्पितं कृष्णाजिनं कन् उत्तरपदलोपः) कृष्णगर्भ पुं. (कृष्णवर्णो गर्भोऽस्य) आय. કાળા મૃગનું ચામડું. कृष्णगिरि पुं. (कृष्णश्चासो गिरिः) नीलगिरि पर्वत. कृष्णकन्द न. (कृष्णः कन्डोऽस्य) रातुं उभग.. कृष्णगोधा स्त्री. (कृष्णः गोधेव) मे तन. 8132. कृष्णकर्कटक पुं. (कृष्णश्चासौ कर्कटकश्च) stml. ४२यदा. कृष्णग्रीव त्रि. (कृष्णा ग्रीवा यस्य) 5m 56वाणु, कृष्णकर्मन् त्रि. (कृष्णं कर्म यस्य) हिंसा वगैरे ५५ nuaj. (पुं.) मडाव, शंभु, नी456. ७२ना२, ५५ वगेरेनु माय२९॥ ४२०२ - शिश्विदानः | कृष्णचञ्चुक पुं. (कृष्णा चञ्चूरस्य कप्) मे. तनुं कृष्णकर्मा शुक्लकमेति कस्यचित् । -जटाधरः । धान्य, यो. कृष्णकर्म (न. कृष्णं च तत्कर्म च) डिंसा वगेरे. कृष्णचतुर्दशी स्त्री. (कृष्णा चतुर्दशी) अंधारी यौ६२, શાસ્ત્ર નિષિદ્ધ કર્મ, વણ ઉપર કાળાશ લાવનાર એક | કૃષ્ણપક્ષની ચૌદશ. 1.t२नी. वैध ठिया. (त्रि. कृष्णार्पितं कर्म यस्य) कृष्णचन्दन न. (कृष्णप्रियं चन्दनम्) ने प्रिय પરમેશ્વરને અર્પણ કરેલું છે કામ જેણે તે, કૃષ્ણને | ચંદન, હરિચંદન, ધોળું ચંદન, સુખડ. सोप, अम. ते. (न. कृष्णार्पितं कर्म) कृष्णचन्द्र पुं. (कृष्णः चन्द्र इव) वासुदेव, श्री.१७॥ ५२भेश्वरने अप ४२j, भ, इष्टाने सोधे डं, म. | कृष्णचर पुं. (कृष्णस्य भूतपूर्वः चरट) पूर्वेनी साथे कृष्णकलि पुं. (कृष्ण इव चूडाला कलिः कलिकाऽस्य) શ્રીકૃષ્ણનો સંબંધ હોય તે. એક જાતનું ઝાડ જેમાં લગભગ ફૂલ જ હોય. कृष्णचूडा स्त्री. (कृष्णस्य चूडा इव चडाऽस्य) ते. कृष्णकाक पुं. (कृष्णश्चासौ काकश्च) मे तनो नाम . स.. (स्त्री. कृष्णा चूडाऽग्रमस्य) કાળો કાગડો. લાલ ચણોઠી ઝાડ. कृष्णकाकी स्त्री. (कृष्णकाक+जातित्वात् ङीष्) में कृष्णचूडिका स्त्री. (कृष्णा चूडाऽग्रं यस्याः कप् अत જાતની કાળી કાગડી. __इत्वम्) यही. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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