Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 814
________________ गु-गुडशिग्रु] शब्दरत्नमहोदधिः। ७६७ गुञ्ज (भ्वा. पर. सेट-गुञ्जति) अव्यस्त सवा १२वी गुडक त्रि. (गुडेन पक्वम् बा० कन्) म ५.७वेस -अयि । दलदरविन्द । स्यन्दमानं मरन्दं तव | औषध वग३, गोर पहा. -अश्मगडका किमपि लिहन्तो मञ्जु गुञ्जन्तु भृङ्गाः-भामि० १।५। । वर्तुलीकृताः पाषाणाः-नीलकण्ठः । गुज्जरी स्त्री. ते नामनी में. ७0. मह -श्रुतेः । गुडकरी स्री. ते. नामना. स. २00.. स्वराणां दघति विभागं तन्त्रीमुचाद् दक्षिणगुज्जरीयम्- | गुडकाष्ठ न. (गुडयुक्तं काष्ठम्) शे२31. सङ्गीतदर्पणम् । गुडकुष्माण्डक न. यहत्ते. बतावेj, मे. वैधास्त्र गुञ्ज पुं. (गुजि+अच्) पुष्पनो गुम्छौ, २६, सवा. प्रसिद्ध औषध. गुञ्जकृत् पुं. (गुजं ध्वनिभेदं करोति कृ+क्विप्) गुडगुडायन न. (गुडगुड इत्येवमयनं यस्य) Mial भभो . થવાથી કંઠમાંથી ગુડગુડનો થતો અવાજ, વાયુને गुञ्जत् त्रि. (गुज्+शतृ) २५. ४२तुं, गु-गुरा લીધે પેટમાં થતો ગડગડાટ. અવાજ કરતું. गुडची स्त्री. (गुडेन चीयते ची+ड गौ. ङीष्) uml गुञ्जन नं. (गुञ्+ल्युट) २०. ४२j, muj - નામની વનસ્પતિ. किमिदं गुञ्जनं सख्यः षट्पदानां मनोहरम् । गुडतृण न. (गुडसाधनं तत्प्रधानं वा तृणम्) २२४ी. गुजा न. (गुजि+अच्) २७॥४ीनो. वेदो, २९8. - गुडत्वच, गुडत्वचा स्त्री. (गुड इव मधुरा त्वग्-त्वचा अन्तर्विषमयाह्येते बहिश्चैव मनोरमाः । गुञ्जाफल यस्याः) ८४. (स्त्री.) वंत्री. समाकारा योषितः केन निर्मिताः ।। -पञ्ज० १।१६९, गुडदारु नं. (गुडप्रधानं दारु) शे२७.. -किं जातु गुजा-फलभूषणानां सुवर्णकारेण गुडधेनु स्त्री. हान ५ माटे onu anuन. ४८.दी. य. वनेचरणाम्- विक्रमाङ्क० १।२५। . 46uuut બરોબર એક વજન, ચણોઠી જે ૧. પ/૧૮ ગ્રેન गुडपाक पुं. १५03 - 1. नमर्नु, 10. साथे. ५.वि. એક ઔષધ. બરાબર થાય છે અથવા કૃત્રિમ રીતે જેનું તોલ ૨. गुडपिप्पलीधृत न. वैध प्रसिद्ध धाम 4.51वेद. मे ૩.૧૬ ગ્રેનના માપનું સમજાય તે, એક જાતનું નગારું, औषध. यया, ६८३र्नु पाहु. गुडपिष्ट न. (गुडयुक्तं पिष्टम्) गीण भेगवेj ५४ान.. गुञ्जिका स्त्री. (गुजा+कन्+टाप्) ३. ४ मे. गुडपुष्प पुं. (गुड इव मधुरं पुष्पमस्य) मानु, आ3, भा५. મધુક વૃક્ષ. गुञ्जित त्रि. (गुञ्+क्त) २६.. (न. गुज्+क्त) गुडफल पुं. (गुड इव मधुरं फलमस्य) पासुनु 3, [२५. -स्वच्छन्दं दलदरविन्द ! ते मरन्दं विदन्तो બોરડીનું વૃક્ષ. विदधतु गुञ्जितं मिलिन्दाः - भामि० १।१५, गुडबीज पुं. (गुड इव मधुरं बीजमस्य) मसूर. ગણગણવું તે. गुडभल्लातक पुं. (गुडेन पक्वः भल्लातकः) गोमi गुटि, गुटी स्री. (गु+टिक्, टोक्) जी. પકવેલો ભીલામાંનો એક પાક. गुटिका स्त्री. (वटिका पृषो.) २. (-निधैति हारगुटिका गुडभा स्त्री. (गुड इव भाति भा+क) हेश सा४२. विशदं हिमाम्भः-रघु० ५।७०।। गुडमूल पुं. (गुड इव मधुरं मूलमस्य) मे तनु गुटिकाजन न. 1.5 dj वै ॥२२ प्रसिद्ध ४न, ____eus, diend. (न.) २२.. गुडल न. (गुडं कारणतया लाति ला+क) गोगनो गुह (तुदा. पर. स. सेट-गुडति) २६५ ७२y, Aug, ३, (त्रि.) गोmuiधी बनेका ६८३. गुडशर्करा स्त्री. (गुडजाता शर्करा) गोमाथी बनेर गुड पुं. (गु+ड कित्) . - गुडद्वितीयां हरीतकीं २.४२. भक्षयेत् सुश्रुते । गो.२ ५६ार्थ, प्रा.स., अजीम, | गुडशिग्रु पुं. (गुड इव मधुरः शिग्रुः) २ता स२०वान हाथी , थाना 6५२ नामावान आस्त.२५८. | 3. सुरमो. __128j. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864