Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 823
________________ ७७६ शब्दरत्नमहोदधिः। [गूर्-गृध्रराज गूर (चुरा. आत्म. अक. सेट-गूरयते) 6धम. १२वी, | गृत्सपति पुं. गुहेव.. म. (दिवा. आ. स. सेट-गूर्यते) मा२, मारी गृत्समति पुं. पृडस्पति.न. वंशन सुडोत्रनो मे पुत्र, नाम, मन. २, ४. ते मे २01. गूरण न. (गुर् + ल्युट) उधम ४२वी, Guj, भारी | गृत्समद पुं. ते नमन मे. पि. ___न , ४. गृद्धिन् त्रि. (गृद्ध+णिनि) सोनी, सयु. गूर्ण, गूर्त त्रि. (गूरी उद्यमे क्त ईदित्वात् नेट । गूरी गृध् (दिवा. प. स. सेट-गृहयति) भेजवानी २७॥ वेदे नत्वाभावः) तैयार थयेj, Gधमवाणु, श्रेष्ठ, १२वी, पालय ४२वी, दादुपता २५वी, २७j. उत्तम. गृधु त्रि. पुं. (गृध्यत्यनेन गृध्+कु) मु, महेव.. गूर्ति स्री. (गृणन्ति स्तुवन्ति गृ+कर्तरि क्तिच्) स्तुति. १२॥२. (त्रि. गृ+भावे क्तिच्) स्तुति. (त्रि.) दासयु, सोमी. गूर्द (चुरा. उभय. सक. सेट-गूर्दयते, गूर्दयति) स्तुति गृधू स्त्री. (गृध्यत्यनेन गृध्+कृ) बुद्धि, निहित, अपानवायुं. ४२वी. (भ्वा. आ. अ. सेट-गूईते) २भ, 8130 | गृथ्नु त्रि. (गृध्यति गृध्-क्नु) दोली, -अगृघ्नुराददे ४२वी. सोऽर्थम्-रघु० ११२१ ।। गूवाक पुं. (गुवाक पृषो.) सोपारीनु काउ. गृघ्नुता स्त्री., गृनुत्व न. (गृघ्नोः भावः तल्-त्त्व) गूषणा स्त्री. भोरन पीछiभा २३८. यंद्र. લોભિયાપણું, લાલચુપણું. गृहमान त्रि. (गृह+शानच्) संताउतुं, छान, रामतुं.. गृध्य त्रि. (गृध्+कर्मणि क्यप्) २७वा योग्य, सालय गृ (भ्वा. पर. स, अनिट्-गरति) सीय, ७iej. २. योग्य, सोम. 5२वा योग्य. (न. गृध्+ गृज् (भ्वा. पर. अ. सेट-गर्जति) ध्वनि ४२वी, सवा कर्मणि क्यप) सालय, सोम, सिप्सा. ३२वी- गर्जसि मेघ ! न यच्छसि तोयम्- | गृध्यिन् त्रि. (गृध्य+अस्त्यर्थे इनि) दासयु, सोली. पूर्वचातकाष्टके ४. । . गृध्र पुं. (गृध्यति मांसं गृधू+कन्) 0 ५६0 -मार्जारस्य गृञ् (भ्वा. पर. अ. सेट-गृञ्जिति) वान. ४२वी, हि दोषेण हतो गृध्रो जरद्गवः-हि० १।५९ । ७२305 અવાજ કરવો. ५क्षी. (त्रि.) elell, वादयु, -स पापात्मा परलोके गृञ्जन पुं. (गृजि+ल्युट्) ॥४२, रातुं स -पलाण्डु गृघोच्छिष्टेन जीवति-मनु० २१।२६ गृञ्जनं चैव मत्या जग्ध्वा पतेद् द्विजः -मनु० ५।१९।। गृध्रकूट पुं. (गृध्रप्रधानं कूटमस्य) भगधद्देशमा २४डनी में तनो भूगो, Quict. (न.) में तनो ४६, વેલો પર્વત. ગાજર, ઝેર ચોપડેલ પશુનું માંસ. गृध्रनखी स्त्री. (गृध्रस्य नखस्तदाकारोऽस्त्यस्याः अच् गृञ्जनक न. (गृजन स्वार्थ क) योपडेल. पशु गौरा. ङीष) रानी पोरन आउ, एमोर, सामान्य भास.. બોરનું ઝાડ. गृञ्जिम पुं. यदुवंश शूरन पुत्र, वसुदेवनी 2.5 Hus. गृध्रपति पुं. ४ायु, नामर्नु . ५६. गृणत् त्रि. (गृ+शत्) पोसतुं, तुं, queu. गृध्रपत्र पुं. (गृध्र इव पत्रं-पक्षो यस्य) धन पlsidaj, गृणीषन् पुं. (गृणिः स्तोत्रं तस्येच्छा इष् भावे कनिन्) બાણ, કાર્તિકસ્વામીનું એક સૈન્ય. સ્તોત્રની ઈચ્છા. गृध्रपत्रा स्त्री. (गृध्र इव धूम्रं पत्रं यस्याः ) धूम्रपत्रा गृण्डीव पुं. मोटुं-डं शिया. गृण्डीवी स्त्री. भी.टी.-98131. शिया. નામે એક વૃક્ષ. गृत्स पुं. (गृध्यति अनेन गृध्+स) महेव, महन, भे । गृधयातु पुं. (गृध्ररूपेण याति या+तुन्) ५क्षानु 4.२नो द्र. (त्रि.) स्तुति. ४२२, स्तुति २al રૂપ ધારણ કરનાર એક રાક્ષસ. योग्य, -गृत्सो राजा वरुणश्चक्रं एतं दिवि प्रङ्खा - | | गृध्रराज पुं. (गृध्रो राजेवेति वा उपमिति स.) °४ायुऋग्वेदे ७।८७।५ । विषयामिवावी, मु, बुद्धि गाधनी. २0% -अस्यैवासीन्महति शिखरे गृध्रराजस्य मन. वासः -उत्तर० २।२५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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