Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 828
________________ गैर-गोग्रहण] शब्दरत्नमहोदधिः। ७८१ Puj. परि+गै योत२३थी. Puj. प्र+गै अत्यंत uj. | गोका न. ५५0, ४८, सत्य, ३२१, m. (स्री. ब.) वि+गै निन् -विगीयसे मन्मथदेहदाहिना-नै० ११७९; | ५५.. विषम स्व.२थी. भ. Puj, सम्+गै सारी शत. गोकामुख पुं. भरतम मावेतो ते. नामनो मे गावं. पर्वत. गैर त्रि. (गिरौ भवः) पर्वतमा पहा थना२, ५९मथी. गोकिराटा, गोकिराटिका स्त्री. (गोकिरा वाणीकिरा ___मावना२, ५७10. (न.) गेरू. सती अटति अट अच्) मेनपक्षी. (स्त्री. गां वाचं गैरकम्बूल न. योतिषशास्त्रप्रसिद्ध वर्ष सनमानी किरति कृ+क तथा सती अटति अट+ण्वुल्) .5 ग्रहयोग गोकिल, गोकील पुं. (गवि पृथिव्यां कील इव) गैरायण पुं. (गिरेगोत्रापत्यम् अश्वा. फ) निश्निो भूसस, . ગોત્રાપત્ય, તે નામના એક ઋષિ. गोकुल न. (गवां कुलम्) योनी समूह, (गवां कुलम् गैरिक न. (गिरी भवः ठञ्) गेरू, सोनु, (त्रि.) यवतमा यत्र) योनो वास, गोगुण नामे में हम उत्पन्न यनार. (त्रि. गोकुल+अण् क्वचिद् लुप्) जम २३ना२ वष्टिव्याकलगोकलावनरसाददधत्य गोवर्धनम् - गैरिकाक्ष पुं. (गैरिकमिवाक्षि पुष्पमस्य) ४ामधू नामर्नु ॐ वृक्ष. गीत० ४.। -गोकुलतृषार्तस्य-महा० । गैरी स्री. (गैर+स्रियां ङीष्) dincी वृक्ष. गोकुलिक त्रि. (गवि कुलिक: जड इव) ६qi. गैरेय न. (गिरौ भवः ढक्) शिपात, गेरू. પડેલી ગાયને કાઢવામાં ઉપેક્ષા કરનાર. गोकृत न. (गवा कृतम्) सायनु. ७५, बर्नु छ५५. गो पुं. (गच्छत्यनेन गम्+करणे डो) ५६ - असञ्जातकिणस्कन्धः सुखं स्वपिति गौर्गडिः -काव्य० (त्रि.) य म ४२८. गोक्षर, गोक्षरक पं. (गोः क्षर इव । गोक्षर+स्वार्थे क) १०. । (२९, २, 4%, स्वा, यन्द्र, सूर्य, गोमनामना. वनस्पति, (गोः क्षुरः) ॥यनी. ५२. - ગોમેધયજ્ઞ, ઋષભ નામે ઔષધિ, હરકોઈ પશુ, | गुप्ताफलं गोक्षुरकाच्च बीजम्-सुश्रुते । वृषभ राशि, नवनी संज्या, वायु. (त्री.) २॥य - | क्षोडक पुं. (गवि क्षोड इव कायति कै+क) सूतर जुगोप गोरूपधरामिवोर्वीम्-रघु० २।३ । क्षिरिण्यः ३ पक्षी समुहाय. सन्तु गावः-मृच्छ० १०।६०, नेत्र, U, Pिl, ale. गोखा स्त्री. (गां भूमि खनति अनया खन्+डा) नम.. दुदोह गां स यज्ञाय-रघु० १।२६ । पृथ्वी- रघोरुदारामपि | गोखुर पुं. (गोः- खुर इव) वनस्पात ५२. गां निशम्य-रघु० ५।१२, भात, हष्टि, सुवटुिं. गोगोयुग न. (गवोर्द्वित्वम् गोद्वित्वे गोयुगच्) , Pun, गोकण्ट पुं. (गोः पृथिव्याः कण्ट इव) मनमानी m:- पशुभ्यः स्थानद्विषट्के गोष्ठगोयुगषड्गवम्2.5 %ातनी वनस्पति. (न. पुं. गोः भूमेः | मुग्धबोधसूत्रम् । कण्टक इव) asid वृक्ष-गोप, यी ५२, | गोगोष्ठ पं. (गोः स्थानम् गोष्ठच) ॥ २॥सवा ગાયની ખરીનો ઊંચો-નીચો ભાગ. स्थान. गोकर्ण पुं. (गोर्नेत्रं इव कर्णो यस्य) सप, साप. | गोगष्टि स्त्री. (गोष्टिः ) में पत. प्रसव पामेला (पुं. गोरिव कर्णावस्य) अय्यर, 1.3 तनो भृग, य. म तनो हेव, अनामि. in. Auथे. ५ो | गोग्रन्थि पुं. (गोर्जातो ग्रन्थिः) सायं ७i. स.येवं કરેલા અંગૂઠા જેટલું માપ, એક જાતનું શૈવ તીર્થ - छ (पुं. गवां ग्रन्थिः पङ्कितर्यत्र) योनी वाडी श्रितगोकर्णनिकेतमीश्वरम्-रघु० ८।३३ । ते. नामे स्थान. (पुं. गोः ग्रन्थिरिव) गोजी. लिव એક દેવ, કાશીમાં આવેલું એક શિવલિંગ. નામની એક ઔષધિ. (पुं. गोः कर्णः) आयनो आन. गोग्राह पुं. (गवां ग्रहः) योन ४२५॥ ३२. गोकर्णी स्त्री. (गोः कर्णमिव पत्रमस्याः गौरा. ङीष्) ते | गोग्रहण न. (गवां ग्रहणम्) यो ५४d, uयर्नु નામનો એક વેલો. અપહરણ કરવું. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864