Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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७४०
शब्दरत्नमहोदधिः।
[गण्डाली-गतवत्
गण्डाली स्त्री. (गण्डेन ग्रन्थिना अल्यते भूष्यते अल+घञ् | गण्य त्रि. (गण+यत्) गरी ४२.व. ८04.5, सय ५५,
गौरी डीए) istanी , घोगा हुवा, पाणीप्रीम. ગણમાં થનાર, ગર્ણત્રી-સંખ્યાને મેળવનાર. गण्डमलति अल् +अण् सपाक्षी वृक्ष...
गत त्रि. (गम्+कर्तरि क्त) गयेर -गतायां रात्रौ- से. गण्डि पुं. (गडि+ इन्) वृक्षना भूलथी. २. सुधीनो. પ્રમાણેના ભાવને પ્રાપ્ત થયેલ, સમાપ્ત થયેલ - भास, वृक्षनु 23.
दिवंगतः-क० ४।३०, ५७ -भर्तृगतया चिन्तया-श० गण्डिक त्रि. (गण्डः बुद्बुद इव आकारेणास्त्यस्य ४, -वयमपि भवत्याः सखीगतं पृच्छामः-श० १. ठन्) ५२पोटा वो क्षुद्र पथ्य२.
स, -राजा शकुन्तलागतमेव चिन्तयति-श० ५. । गण्डिका स्त्री. (अल्पार्थे ङीष् क हूस्वः) क्षुद्र 3
प्राप्त 5२८, गति. 5२८- गतमु परिघानानां पाषाए.
वारिगर्भोदराणाम्-श० ७७ । (न. गम्+क्त) मन, गण्डीर, गण्डीरक पुं. (गण्ड+ईरन् । गण्डीर+स्वार्थे
गति, ४j -गतं तिरश्चीनमनूरुसारथे:- शिशु० १।२ । ___+क) dind, मे. तk 3.
गतकाल पुं. (गतश्चासौ कालश्च) गयेतो. समय, भूत . गण्डीरी स्त्री. (गण्डीर+ङीप्) डास..-घास..
गतक्लम त्रि. (गतः कलमो यस्य) नो. 2.5 तरी गण्डु, गण्डू पुं. स्त्री. (गण्ड्यते शिरोभागः स्थाप्यतेऽत्र
गयो डोय ते. गडि आधारे उन् । गडि ऊङ् वा) मो.शाह, i8.
गतचेतन त्रि. (गता चेतना यस्य) बेभान, येतना गण्डुमत् त्रि. (गण्डु पक्षे मतुप्) isuj..
વગરનું, મૂચ્છ પામેલું. गण्डुल त्रि. (गण्डुः ग्रन्थिरस्त्यस्य सिध्मा० लच्)
| गतज्वर त्रि. (गतो ज्वरो यस्य) नो तव. गये. ___oisवाणु.
गततोयद त्रि. (गतं तोयदं यस्मात्) ४मथी. मेघ गण्डूपद पुं. (गण्ड्वः ग्रन्थयः तद्युतानि पदानि यस्य)
ચાલ્યો ગયો હોય તે, વાદળાં વિનાનું. - પૃથ્વીમાંનું એક જાતનું જંતુ.
गतत्रप त्रि. (गता त्रपा लज्जा यस्य) नि.४४, शरभ.. गण्डूपदभव न. (गण्डूपद इव भवति भू+अच्) सी.सु.
गतदिन न. (गतं च तद्दिनं च) येसो हवस, 5 गण्डूपदी स्त्री. (गण्डूपद अल्पार्थे ङीप्) तना क्षुद्र 4.
गतधृति त्रि. (गता धृतिर्यस्य) नी. धी२४ गयेर छ गण्डूष पुं. (गडि+ऊषन्) भोढुं धोवा माटे भुममा ४
ते, दृढता विनानु. पाएन, यinj, वायछते. -गण्डूषजलमात्रेण शफरो
गतनासिक त्रि. (गता नासिकाऽस्य) न, ना विनानु, फर्फरायते-उद्भटः । ५. वगैरेनो आगो , -गजाय
ठेनुं न गयेस छ ते. गण्डूषजलं करेणुः (ददौ)-कुमा० ३।३७ । साथी.नी.
गतप्रत्यागत त्रि. (गतः स्वस्थानात् पश्चाच्चागतश्च) मूंढनो भACHO -तस्य जहूः सुतो गङ्गां गण्डूषीकृत्य | पलट गयेद अन. ६२२. पाछु भावव योऽपिबत्-भाग० ९।१५।३, मे. यांग ॥५.
गतबुद्धि त्रि. (गता बुद्धिरस्य) शान २रित, बुद्धि गण्डूषा स्त्री. (गण्डूष स्त्रियां टाप्) ad नाम, गो,
वान. (स्त्री. गता बुद्धिः) गयेस बुद्धि. Ainj भा५- अपां द्वादशगण्डूषैर्मुखशुद्धिर्विधीयते- गतरस त्रि. (गतो रसोऽस्य) ना. पामेला २सवा... रायमु० सारसुन्दरी- टीकायाम्
गतभर्तृका स्त्री. (गतो नष्टः प्रोषितो वा भर्ता यस्याः) गण्डोपधान न. (गण्ड उपधीयतेऽत्र उप+घा+आधारे જેનો પતિ વિદેશ ગયો હોય તે સ્ત્રી, વિધવા સ્ત્રી.
ल्युट) मो.शा.- मृदुगण्डोपधानानि शयनानि सुखानि गतमाय त्रि. (गता माया यस्य) ठेनी माया येत छ च-सुश्रु० ।
તે, નિર્દય, જેનું અજ્ઞાન ગયું હોય તે, માયારહિત. गण्डोल पुं. (गडि+ओलच्) गोt२ : ५६ गतलक्ष्मीक त्रि. (गता लक्ष्मीर्यस्य) लेनी. सक्ष्मी गई
विशेष, स.४२, २, प्रास, धोनी, गो. डोय. ते, शोभाशून्य, हुमा, गाण. गण्डोलपाद पुं. (गण्डोल इव पादोऽस्य) गो२. । गतवत् त्रि. (गत+मतुप्) नार, प्राप्त २८२, 4गवाणु.
भेजवाना२, संपाइन 5२८२.
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