Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 796
________________ गमनीय-गर शब्दरत्नमहोदधिः। ७४९ गमनीय त्रि. (गम्+अनीयर) गमन. २योग्य, - | गम्भीरिका स्त्री. (गम्भीर कन्+टाप्+ इत्वम्) ते. नामनी. उपागम्य विकारस्य गमनीयाऽस्मि संवृत्ता -श० १, એક ઊંડી નદી, ગંભીર ઊંડી જમીન, એક જાતની જવા યોગ્ય, અનુસરવા લાયક, શોધવા યોગ્ય. नी, ते नामनो मे ६ष्टिग-नेत्ररोग.. गमयत् त्रि. (गम्+णिच्+शत) गति रावतुं. गम्य त्रि. (गम्+यत्) गमन १२वा योग्य, प्राप्त २८ गमागम पूं. (गमश्च आगमश्च) ४वं आवगमनागमन. योग्य -न गम्यो मन्त्राणाम-भर्तृ० १८९, -ज्ञानं ज्ञेयं गमित त्रि. (गम्+णिच्+क्त) गमन ४२॥वेद, भोलेस.. ज्ञानगम्यं ह्रदि सर्वस्य निष्ठितम्-भग० १३।१७ । गमिन् पुं. त्रि. (गम्+इनि) 4ni ४॥२ तार, - | गम्यता स्त्री., गम्यत्व न. (गम्यस्य भावः तल्-त्व) ग्रामंगमी गाम नार. ગમન કરવા યોગ્યપણું. गमिष्ठ त्रि. (अतिशयेन गन्ता गन्त अतिशायने इष्ठन) । गम्यमान त्रि. (गम्+कर्मणि शानच्) ४ातुं, प्राप्त અતિશય ગમન કરનાર. तुं. गम्ब (भ्वा. प. स. सेट-गम्बति) गमन. २, ४.. गम्या स्त्री. (गम्य+स्त्रियां टाप्) मन ४२॥ योग्य गम्भन् त्रि. (गम् आ० अन् भगागमश्च) मी२. જેની સાથે મૈથુનમાં દોષ નથી તેવી પરિણીત સ્ત્રી गम्भारिका स्त्री. (गम्+भृ+ण्वुल टाप् अत इत्वम्) -अभिकामां स्त्रियं यश्च गम्यां रहसि याचितः नोपैति -महा० । ગંભારી-સીવણ નામની વનસ્પતિ. गम्यादि पुं. पाशिनीय व्या २९ प्रसिद्ध मे. शहए। गम्भारी स्त्री. (गम्+भृ+अण् स्रियां ङीष्) 6५२नो ते मा प्रमाणी- गमी, आगमी, भावी, प्रस्थायी, અર્થ, ગંભારીનું ફળ કે ફૂલ. प्रतिरोधी, प्रतियोधी, प्रतिबोधी, प्रतिमायी, प्रतीषेधी । गम्भिष्ठ त्रि. (गम्भन् अतिशायने इष्ठन् टिलोपः) गय पुं. रामायए प्रसिद्ध ते ना. . वानर, विधान અતિશય ગંભીર. રાજાનો એક પુત્ર, પ્રિયવ્રતના વંશનો એક રાજા, गम्भीर त्रि. (गच्छति जलमत्र गम्+ईरन् भुवागम) 30. ते. नामे मे सु२ -गयो गवाक्षो भी२. -सागरवरगम्भीराः सिद्धाः-लोगस्स० ५, - गवयः शरभो गन्धमादनः-४।२५।३३ । (न.) धन, ततः सागरगम्भीरो वानरः पवनो जवे-रामा० ५।१५०, સંતાન, ઘર, ઘરમાં રહેલ પ્રાણી, પોતાનું સ્થાન, ई, म२३. (पुं.) मी२ २०६, जीशन 13, संतरीक्ष, (पुं. ब.) प्रा. (त्रि.) गमन. ४२वा योग्य, शुभम वेहन में मंत्र, शिव. (स्त्री.) उडीनो શરણ લેવા યોગ્ય. श। -स्वरे सत्त्वे च नाभौ च त्रिषु गम्भीरता शुभा । गयस्फान पुं. (स्फायी वृद्धौ अन्तर्भूतण्यर्थात् ल्युट् गम्भीरता स्त्री., गम्भीरत्व न. (गम्भीरस्य भावः तल् नि० यलोपः स्फानः, गयस्य स्फानः) घननी वृद्धि त्व) भी.२५.. २२. गम्भीरनाद पुं. (गम्भीरश्चासौ नादश्च) मी२ २४, गया स्त्री. (गयो गयासुरः गमनृपो वा कारणत्वे 8. सा. (त्रि. गम्भीरः नादो यस्य) गंभीर नास्त्यस्य अच्) गया नामनु, बिहार प्रदेशमा आवेतुं नाहवा. से ताथ. गम्भीरवेदिन पुं., गम्भीरवेदिता पुं. (गम्भीरं गहनं गयाकूप पुं. या तायम सावेतो. मे. वी. यथा तथा वेत्ति विद्+णिनि । (पुं. गम्भीर+विद्+तृच्) | गयादित्य पुं. गया तीर्थमा आवेदो मे. साहित्य. से तनो डाथी. संपुश वगेरेथा. परियित गयाशिरस, गयाशीर्ष, गयाशेखर न. यामां आवेj શિક્ષાને પણ ઘણે લાંબે વખતે ધ્યાનમાં લે છે - से स्थान. चिरकालेन यो वेत्ति शिक्षा परिचितामपि गम्भीरवेदी | गर त्रि. (गीर्य्यते गृ+कर्मादौ अच्) जीवातुं, स विज्ञेयः गजो गजवेदिभिः ।। तुं, मक्ष ४२वा योग्य, हुष्य. (पुं. गृ+ अच्) गम्भीरार्थ पुं. (गम्भीरश्चासौ अर्थश्च) भी२. अर्थ, उपविष, २, रोग, गण, गजी. ४, वनारा. शन. अर्थ. (त्रि. गम्भीरः अर्थो यस्य) icमार () જ્યોતિષશાસ્ત્ર પ્રસિદ્ધ બળ વગેરે કરણ પૈકી અર્થવાળું, ઊંડા રહસ્યવાળું. પાંચમું કરણ, એક જાતનું ઝેર. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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