Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 771
________________ ७२४ शब्दरत्नमहोदधिः। [खर्वट-खलिश शतं पद्मसहस्राणां महापद्म विभाव्यते ।। परी ५3 मेवा रोग. - तदिन्द्रलुप्तं रूढ्यं च प्राहुश्चाचेति महापद्मसहस्राणां तथा खर्वमिहोच्यते ।। -रामा० चापरे खलतेरपि जन्मैवं सदनं तत्र तु क्रमात् ।। - ६।४।५४-५९ । वाभटे २३. अ० । त्रि. शासन रोगवाणु, वियु. खर्वट पुं. (खर्व+अटन्) हेनी मे. पाशु म डोय खलतिक पुं. (स्खलतिरिव कायति कै+क) पर्वत. એક બાજુ નગર હોય એવું પર્વત અને નદીથી ___ (न. खलतिकः पर्वतः तत्रभवानि वनानि) पर्वतमान વ્યાપ્ત ગામ, પર્વતની પાસેનું કોઈ ગામ. खर्वशाख त्रि. (खर्वा शाखः हस्तपादादयो यस्य) वामन, खलधान पुं. (खलाः खडाः धीयन्तेऽस्मिन् घा+आधारे ही , ना. ल्युट) मे तनुं वास.. खर्वा स्त्री. (खर्व+अच्+टाप्) वनस्पति नाय, खलपू त्रि. (खलं भूमि पुनाति पू+क्विप्) स्थान. साई नागरवेश. કરનાર, વાસીદું વાળનાર. खर्वित त्रि. (खर्व नीचगतौ कर्तरि क्त) ननु, दूई, | खलमूर्ति पुं. (खल इव उग्री मूर्तिरस्य) ५।२६, पारी.. हींग. खलयज्ञ पुं. (खले कर्तव्यो यज्ञः) Hi Pal खविता स्री. (खवित+स्त्रियां टाप्) मे. ४.७८२नी. अमास. योग्य यश. તિથિ, અલ્પકાળ રહેનારી કોઈપણ તિથિ. - खलसंसर्ग पुं. (खलस्य संसर्गः) नीय भासनी सोमत. संमिश्रयेच्चतुर्दश्या अमावास्या भवेत् क्वचित् ।। खलाजिन न. (खलस्थितमजिनम्) Hi २उतुं यामई. खर्चितां तां विदुः केचित् गताथ्वामिति चापरे-कर्मपदी. | खलादि पुं. पाणिनीय व्या४२ प्रसिद्ध समूड अर्थमा खल् (भ्वा. पर. स. सेट-खलति) मे २j, यास, 'इनि' प्रत्यय लेना२ मे २०६समूह- स च गणः ___डासj, ही४२ वी. यथा-खल, डाक, कुटुम्ब, द्रुम, अङ्क, गो रथ, खल पुं. न. (खल+ अच्) अना ज्य२वान स्थान. - कुण्डल, खलिनी, डाकिनी इत्यादि । खलात् क्षेत्रादगाराद् वा यतो वाऽप्युपलभ्यते -मनु० खलाधारा स्त्री. (खल आधारो यस्याः) तनामनी में ११।१७ । मणु, धूजनो. ढगतो, पृथ्वी, स्थ, स्थान, ___ तनी 13. (त्रि.) सदु, नीय, अधम, हुई न. - खलस्वभावं भवितव्यतां तथा चकार सर्वं किल शूद्रको नृपः । - | खलि स्त्री. (खल+इन्) तनो भोग, तेस-चीन ई, मृच्छकटिक० १. अङ्के । -सर्पः क्रूरः खलः क्रूरः सात् ___ताउनु भूग. क्रूरतरः खलः । मन्त्रौषधिवशः क्रूरः खलः केन | खलिगुम पुं. विहानु, वृक्ष. निवार्यते ।। -चाणक्य-२६६ष्ट, पाती, ५२०, ति२ खलिन् त्रि. (खल+इनि) जीवाणु, तेल-घी वगेरेनi. बीए. (पुं.) तलनमोल, सूर्य, तमाल वृक्ष, औषध हीयवाj. મર્દન કરવાનું પથ્થરનું વાસણ, ખરલ, આકડાનું ઝાડ, खलिन पुं. न. (खे अश्वमुखच्छिद्रे लीनं पृषो.) घोडाना धतुरनु काउ. भोढामा २३तुं यो, सम- उभयतः खलिनकनकखलक पुं. (खं शून्यं मध्ये लाति ला+क संज्ञायां | कटकावलग्नाभ्यां पदे पदे कृताकुञ्चनप्रयत्नाभ्यां कन्) घडो, १२. पुरुषाभ्यामवकृष्यमाणम्-अश्वमित्यर्थ-कादम्बरी । खलकुल पुं. (खलको खलभूमौ लीयते ली+ड) थी. (त्रि. खे लीनम्) शमीन. २२।२. નામનું અનાજ. खलिनमृत्तिका स्त्री. (जै. प्रा. खलिणमट्टिया) मेजउनी. खलता स्त्री. (खलस्य भावः तल्-त्व) .५४, भाटी.. नीय५ दृष्ट५९, घातडीनता - खलत्वम् । खलिनी स्त्री. (खलानां समूह इनि ततो ङीष्) मस. (स्त्री. खस्य लता पृषो.) ALशलता नामाना में मनुष्योनो समूड. वेद, अमरवेस.. खलिवर्धन पुं. वायुथी. पी.31 मतो हid. खलति पुं. (स्खलन्ति केशा अस्मात् अपादाने अति | खलिश पुं. (खे आकाशे जलादूर्ध्वभागे लिशति लिश्+क) पृषो० साधु) इन्द्रसुप्तरो. नाथ. माथाना में तनु भा७९. (स्री. खलिश+टाप्) खलिशा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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