Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 40
________________ 1 द्वारे ] स्वोपज्ञ हेमन्तप्रभाचूरण समलङकृतोत्तरपदसत्ता [ ७ सजोगिकेवलि-अजोगि के वलिरगो पडुत्र प्रसत्ता विज्जदे || १६५-२२८|| ॥ प्रथ द्वितीयं स्वामित्वद्वारम् || प्रहुणा सामित्तदारं पडिपाडिज्जइविग्वणवावरणाणं, सत्तासामी उ खीण मोहंता गिद्द | दुगस्स दुचरम- समयंता खीणमोहस्स थीणद्धि तिगसुराउग - मोहणिरयतिरियआयवदुगाणं जाइच उगथावरदुग-साहाराण उवसंतता अरमत्तंता ऽणाण व खवगं तु पडुच्च दंसणसगस्स | ( गीतिः ) अणि असिंख मागा. जा सोलसथीनगिद्विपहाणं ॥२३१॥ ताउ कमा ऽहियऽहिययर- भागता अस्थि अडकलायाणं । ॥२२९॥ 1 ॥२३०|| · ॥२३२॥ पुमित्थिहरुमछगपुम-अतिमको हमयमायाणं सुमंता विण्णेया अतिमलोहस्स अडकसायाओ । पच्छा भणन्ति अण्णे, सोलसथीणद्धिआईणं ॥ २३३॥ अजोगिता, दुवे अणी अमणुया उगगईणं । पंचिदियतसतिग सुहगादेयजमउच्चाणं ॥ २३४ ॥ अमर्त्तता तिरिणिरयाऊण कमाऽत्थि देमसम्मता | गीतिः) अण्णे बिंति जिणस्स उ, अजोगि ता अमीससासाणा || २३५ ।। या बासीईए, सेसाण अजोगिदुचरमखणंता I के चरमसमयंता, भणन्ति मणुयाणुपुब्बीए ॥२३६॥ तित्थाहारगसत्तग- णिरयतिरिसुराउगाणं सव्वे वि । अस्थि असत्तासामी, सम्माई हुन्ति मिच्छस्स ॥ २३७॥ मिच्छा तह सम्माई, मीसस्स हवेज्ज मिच्छमीसाई । सम्मस्स मीसपमुद्दा, पढमकसायाण बोद्धव्वा ॥ २३८ ॥ या • तह

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