Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ द्वारम् ] स्वोपज्ञ-हेमन्तप्रमाणिसमलङ्कृतोत्तरपडिसत्ता [ ६१ चउसजलणाण सिआ, पुरिसअसंते ऽण तिजुअवीसाए। (गीतिः) णियमा मोहाणेवं, हस्सछगस्स णवरं पुमम्स सिआ ॥६४४। णिरयदुगेग असते, णि अमा-ऽसत्तेयरस्स वाऽसि । (गीतिः तिरिएगादमगाओ, एगअसंते धुवा-ऽण्णदसगस्स ॥६४५।। तह णिरयदुगस्स सिआ ऽण्णाण गरदुगा इगअसंते । (उद्गीतिः) णियमिया विउविगारस-गाहारगसगजिणाण वाऽण्णेसिं ॥६४६॥ सुन्दुगिग असंते णियमाऽ गाहारगसगाण वाऽण्णेसिं । (गीतिः) णियमाऽण्णाण पणिदिय-तसतिगसुहगाइतिगइगअसंते ॥६४७॥ विउद्यमगिगामइ धुवा-ऽऽहारमविउवदसाण वाऽण्णेसि । णियमा छण्हाहारग-सगिगअसंते सिऽण्णेसि ॥६४८॥ वा-ऽणाण जिण असंते. वणरदुगपणिदिजिणतसतिगाणं । (गीतिः) सुहगाएजजसाण-डण्णगासंतेऽस्थि णियमओऽणसिं ॥६४६॥ ओघव्य असत्ताए, सव्वह मणिकरिसोऽज्ज चरमाणं । गयवेए असाए, केवलजुगले तहा सम्मे ॥६५॥ खहआणाहारेसु, ओघव्य दुवे प्रणीअणी आणं । तम्हा एगअयंते, पडिवखस्सऽण्णह दससु णो ॥६५१॥ ओघव्य अणाहारे, उच्चस्स छसु गयवे अपमुहासु । णियमा णीअस्सुच्च अ-संते अण्णह ण णीअस्स ॥६५२।। दरिसणावरणाणं, गवण्ह तिरदुपणिदियतसेसु । तिमणवयणकायेसु', उरलावेआकसाएसु ॥६५३।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138