Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 107
________________ ७४] मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणं । सन्निकर्ष सम्मासंते तित्या-ऽऽहारसगाण दुअणाणमिच्छेसु। (गीतिः) णियमा-ऽणाण सिएवं, मिस्सस्स परं धुवाऽस्थि सम्मस्स ॥७७४॥ आउ असंतेऽणाण व. तिरियाउ असई ण णरदुगुच्चाणं । णामाण सठाणब उ. णामअयते सिआऽण्णेसि ॥७७५।। णार असत्ता णियमा, विउगारसगणरदुगासंते । सम्माउदुगाण धुवा, णराउउरुच ण णग्दुगासंते ।७७६॥(गीतिः) तिरियाउगस्म णो णर दुगव्य उच्चस्स गरि तस्स सिआ । मिस्साऊण विभंगे,सम्मासंते सिमा धुवाऽण्णेसि ॥७७७॥(गीतिः) मिस्सस्सेवं णव,णियमा सम्मस्स सेसिगासंते । पयडीण सजाईणं, सट्ठाणन्य उ सिआऽण्णेसि ॥७७८।। सप्पाउग्गाणोघ-ब्ध संजमे णवरि वेअणीअम्स । अण्णयरवेअणीअअ-संते इयरस्स ण असत्ता ॥७७६।। सम्मगमीसअसंते, मोहसठाणव्य थीणगिद्धिव्व । णिरयदुगस्स उ सुरदुग विउवसगाण अहखायव्व ।।७८०॥ सोलसथीद्धितिगाइइगासंते उ समाए छेए ।(गीतिः) पणरसियरदरिसणसग-तिआउगाण णियमा सिआऽण्णेसि ॥७८१॥ मोहाण सठाणविग-मोहासंते सिआण्णेसि । (उद्गीतिः) णवरि दरिसणसगूणा-ऽसते णियमा तिआउगाण तहा ७८२॥ सोलसथीद्धितिगाईणं वाऽण्णाण सेसिगासंते । अकसायव्य उ सुहमे, सप्पाउग्गाण पयडीणं ॥७८३॥

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