Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 105
________________ ७२ ] मुनिधीवीरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे ( सन्निकर्षविउवाहारदुगेसु, परिहारे देसतेउपउमासु । उत्समवेअगसासण-मीसेसु भवे सठाणव्व ॥७५४॥ अण्णयरेगासंते, ससजाईणं सिआ-ऽण्णेसि । वरं मिच्छ असंते,तिरियाउस्स विउवे णियमा|७५५॥(उपगीतिः) देसे गराउगस्स ण, तिदंसणासइ णराउअसह ण सिं । (गीतिः) णियमा जिणस्स मीसे, आहारसगस्स सम्मअसइ धुवा ।।७५६॥ थीए थीणद्धियतिग-तिरियेगारसगओ इगासंते । मज्झट्टकसायणपुम-तित्थाहारगसगाण सिआ ।।१५७।। हवए णरतिगसुरदुग-विउवसगुच्चाण ण णियमा-ऽण्णेसि । सेमाण सजाईणं, सट्टाणव्य उ सिआ-ऽण्णेसिं ॥७५८ । परमडकसायणपुमअ-संते थीणद्धियव्व सेसाणं । मिन्छाणासंते णो, परसुरदुगविउवसत्तगुच्चाणं ॥७५९।। (गीतिः) मिच्छासइ ण णराउस्स णराउअसइ जिणस्स णियमा णो। गीतिः) थीणद्धितिगतिरियिगारसगअडकसायणपुममिच्छाणं ॥७६०॥ तिरियाउअसइ गरदुग-उच्चाण ण विउविगारसगअसइ (गीतिः) सम्माउदुगाण धुवा, सुरदुगविउवसगअसइ ण धुवाणं ॥७६१॥ धुवसत्ताअडवीसा-तिरियाऊण गरदुगअसइ ण धुवा ।(गीतिः) सम्मदुगाउच्चाणुच्चस्स गरदुगन्ध णवरि तम्स सिआ li७६२ । थिव्व पुरिसे णवरि ण असत्ता मणुयतिगसुरदुगासंते । विउवसगुच्चा संते, य थीअ वा-ऽस्थि इयरासंते ॥७६३।।

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