Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 99
________________ ६६ ] मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे [ सनिकर्ष. णियमियरेगाहारग-सगाण वा-ऽण्णाण सुरदुगस्से । मणयदुगेगअसंते, णियमा सेमणवीसाए ॥६९४॥ विउवसगेगअसंते, सिआ गरदुगस्स णियमओऽण्णेसि । गीतिः) आहारसगा एगअ-संते छह णियमा सिआ-ऽण्णेसिं ।।६६५।। एवमपजणरे णर-दुगं विणा-ऽऽहारसगमभव्वम्मि । (गीतिः) तिणरेसु णिरयदुगिगअ-संतेऽण्णस्स णियमा सिआ-ऽसिं'।६६६।। तिरियेगारसगेगअ-संते णिरयदुगदसियगण धुवा । (गीतिः) वाऽण्णाण धुवा-ऽण्णेगा-ऽऽहारसगाण सुरदुगइगअसंते ॥६६॥ वा-ऽण्णाण विउवदसगा-ऽऽहारसगाणऽण्णविउवअसइ धुवा। (गीतिः) वाऽण्णाणाहारसगिग-असइ उ छह णियमा सिआऽण्णसिं॥६६८॥ तित्थअसंतम्मि सिआ, सेसऽखिलाणं सिआऽण्णिगासंते । तित्थस्स दुणवईअ ति-णवईए वा भवे णियमा ॥६९९॥ ओघव्य पणिंदियतम तिगसुहगाइजजसविरहिआणं । (गीतिः) दुपणिदितसभवेसु, णपरि धुवाण सह ण गरदुगिगेहिं ॥७००॥ होइ पणमणतिवयचउ-णाणोहि समहअछेअसुहमेसु । सुकाअ णिरयदुगतिरि-येगादसगाउ बारसऽण्णेसिं॥७०१।(गीतिः) धुविगासंते-ऽण्णाण व; आहारसगाउ छह णियमाऽत्थि ।(गीतिः) एगासंते-ऽण्णाण व, तित्थासंते सिआऽण्णवीसाए ॥७०२॥ दुवयेसु णिरयदुगिगा-संतेऽण्णस्स णियमा सिआ-soणेसिं । तिरियेगारसगेगअ-संते णिरय दुगदसियराण धुवा ॥७० ३।।(गीतिः)

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