Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ ३२] मुनिश्रीवोरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे [अन्तरओघविगतीसाए, लहु दुपणिदितसचक्खुसण्णीसु । पऽण्णाण अणाणोघव्य गुरुमयरसयपुहुत्तमाऊणं ।४१०॥(गीतिः) सम्मत्तमीसमोहग-नराउआहारसत्तगाण भवे । ऊणा गुरुकायठिई , अंतमुहुत्तं चउदसण्हं ॥४११।। णवरि दुतसचक्खूसु, सत्ताए अतरं जेट्ठ । विउवेगारसगस्स य, संखेज्जसहस्सवासाणि ॥४१२।। (उपगीतिः पणमणवयकायउरल-विउवकसाएसु सम्ममीसाणं । समयो लहुं ण व गुरु, अंतमुहुत्तण सेसाणं ॥४१३॥ णवरि गरदुगुच्चाणं, काये ओघव्व विउववज्जासु । (गीतिः) आहारसगस्स लहु, समयो सोलसु गुरुमुहुत्तंतो ॥४१४।। तीसोपव्व लहु विण, णिरयाउं थीपुमेसु णऽण्णेसि । सम्माउदुगाहारग-सगाण गुरुमृणजेट्टकायठिई ।।४१५॥ (गीतिः ऊणपणवण्णपलिआ, थीअ अणाण पुरिसेऽथि ओघव । देवाउस्स तिपन्ला, अहियांतमुहुत्तमण्णेसिं ॥४१६।। सव्वाणोघव्व णपुम-अजएसु भवे परं अणाण गुरु । तेत्तीसूणुदही व ण, सुराउआहारसत्तगाण कमा ।।४१७।। (गीति मणुयाउस्स तिणाणोहिसम्मखइएसु सहससरचुलसी । (गीतिः) लहु वेअगे-ऽहियपलिय-मासु य गुरुमृणजलहितेत्तीसा ॥४१८|| दुविहं देवाउस्स कमा-६पुडुत्तणपुव्वकोडिसमा । (गीतिः) आहारसगस्स खणणछउमठिअगुरुठिई ण सेसाणं ॥४१९॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138