Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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द्वारम] स्वोपन हेमन्तप्रमाणिसमलङ्कृत तरपडिमत्ता [३५ लहुमोघब्ध णपुसे, अणमम्मणिग्यदुगा उगतिगाणं । सुग्दुगविउवमगमणुय-दुगुच्चगो प्राण तिरियन्व ॥४४॥ आहारसगम्म दुहा. इस्थिव्व ण सेसपंचवीसाए । गुरुमहिया अयग, नेनीमा मम्ममीसाणं ॥५४१|| अमहियं पुराणं. कोडि पहुक्तं भवे गउम्म । सेमाण मजोगाणं. बीसाए हो ओघव्य ॥४४२॥ मणुगउस्म तिणाणोहिसम्मखइएस वेअगे य लहु । वामपुहुत्तं जेट्ट, छमामहियपुचकोडी उ ४४३॥ देवाउम्म जहणं माहियपलिओवयं मुणेयव्वं । गुरुपस्थि पुरकोडिति-भागहिया जलहितेत्तीमा ।४४४॥ पल्लासखियभागो, पंचसु आहारमत्तगस्स दुहा । मम्मखइएसु दुविहं, गरञ्च मत्तसु वि णऽण्णेसि ॥४४५॥ णवरि जिणस्स जहण्ण, अहियसहस्सवामचुलसीई । मम्मखइएसु जेट्ठ', तेत्तीसा सागराऽन्महिया ॥४४६।।
आघव्व अणाणदुगेः अभवे मिच्छे तिआउगाण दुहा । विउवेगारसगमणुय दुगुच्चगोआण गुरु तिरिव्व लहु ।।४४७) लहुमोघव्व सुराउ-स्सिगतीसयराऽहिया-ऽण्णमजए वि । होइ सिमेवं छह तु, णपुमव्वऽण्णाण चउसु विणो ॥४४८|| आहारसगस्स लहु', विण्णेयं संजमे मुहुत्तो । ऊणा गुरुकायठिई, गुरुमण्णाणतरं त्थि ॥४४६॥

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