Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
View full book text
________________
४.]
मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे [अन्तर.
तहत्तणादु, जहाणसत्ताकालक्ष्म 'पुण जहजोग समयादिसत्तावसेसे पगदमग्गणापवेसंग समयादिमित्तस्स लाहायो इस्थापवयणं। .
___ सत्तमवज्जसम्वणिरय-पंचिदियतिरिक्ख-पय्यत्तचिदियतिरिक्ख-तिरिच्छी-मण्योह-पज्जत्तमणुय-माणुसी•सुरोह-मवणवदि. प्रादिणवमगेविज्जयंतसुर पंचिदियोघ - पय्यत्तचिदिय- तसकायोहपज्जत्ततसकाय-थोवेद वेद पसगवेव-चक्खुदंसण- लेसा छक्कसण्णि-आहारिलक्खणासु पणवण्णाए मग्गणासु अणंताणुबंधचदुगरस जहण्णमसत्ततरं प्रतमुहत्त, चदुवीसाए सत्तामणंतरस्स तहत्तरणादो, जहमत्त कालस्स उण सासणगुणठाणं समासिज्ज समयमत्तादि. लाहादो।
मणुयोह-पय्यत्तमणुय-मणुयज़ोमिमदीमग्गणातिगे वेउव्वेगा. रसगस्स पंचिदियोह-पज्जत्तपचिदिय-तसकाय । यत्ततसकायमग्गणाचदुगे वेउव्वेगारसग-मणुयाणुपुवीण, .. वेअत्तिग-चक्खुदरिसण. सण्णि-पाहारिरूवासु छसु मग्गणासु गिरयदुगस्सोघन्य सादिरेगअष्ट्रवासाणि मोदि, उज्वलिमाण मग्गणापारम्भे अते जहसंभवं खवगसेढी अजोगिचरमसमये य प्रसत्तालाहेणुनपयोगमोघव्व असतंतरस्स परमाणादो, जहण्णसत्ताकालस्स पुण समयादिसत्तासेसे मग्गणंतरागमणेण मग्गणंतरभवणेण य समयादिमाणस्स कालस्स लाहादो। ___ मणुयोह-पज्जत्तमाय-मणुयजोणिणी-पचिदियोध पय्यत्तचिदिय-तसकायोह-पज्जत्ततसकाय-वेप्रत्तिय-चक्खुदरिसण--सप्णि-- आहारिमग्गणासु तेरससु. सम्मत्तमोहणीयारणं जहण्णमसत्तरमंतमुहत्तं होदि सम्मत्तपत्तीम. जामसंतकम्माण जहसिग्घमंतमुहुत्तेण खइप्रसम्मत्त्पत्तीम पुणो वि असंतकम्मत्तणादु, जहण्णसत्ताकालस्स तु मग्गणंतरागमाविमाप्र समयमत्तस्स लाहादो।

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138