Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
View full book text
________________
द्वारम् | स्वोपज्ञ हेमन्तप्रभाणिसमलकृतोत्तरपडिसत्ता [४७
इगवीमा अवेए. ओघव्व हवेज दोसु णिरयव्व । परमेगमए तीसु वि, सत्ता णत्थि अणचउगस्स । ५०६।। इत्थीणपुससंत मज्झकसायहगस्स गयवेए । णियमा सत्ता णे या, इत्थीमंते गपुसम्स ५०७॥ मोहाणोघच भवे, कोहाइतिगे पर कमा णयमा । तिदुइगसंजलणाण, चउतिदुसंजलणसंतम्मि ॥५०८। दंमण मगम चउण णसंजमसमइ अछेअओहीसु । (गीतिः) मम्मे अणुत्तरव्य उ, णवर मिच्छरस मिस्ससंते वा ॥५०९॥ सेसाणोघच भवे, परिहारे देसवेअगेसुच । ओहिव्व भवे दंमण-सगस्स णिम्यव्व सेसाण ॥५१०॥ वरं या बारस-कसायणवणोकमायसंतम्मि । वेअगसम्मे णियमा, मत्ता सम्मत्तमोहम्स ॥५११॥ सुहमे दंसणसंते. णियमाऽण्णाणतलोहसते वा । सेसिंगसंते सत्ता, व दमणाण णियमा-ऽण्ण सिं १५१२॥ अभवियमासाण सु, णियमा सेमाण एगसंतम्मि । खइए णियमिगमज्झिम-कसायसंते-ऽण्णवीसाए ॥५१३।। सेसाणोपव्व भवे, अणुत्तरव्वुवसमे अणाण भवे ।.. सेसिगसंते सत्ता, सिआ अणाण णियमा-ऽण्णेसि ॥५१४॥ मीसे सब्वाण भवे, उवसमसम्मव्व गवरि सव्वत्थ । सम्मस्स सिआ एगे, विति उवसमन्व णियमा से ।.५१५।।

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138