Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 67
________________ ३४ ] मुनिश्रीवारशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे [ अन्तर विउवेगारसगस्स उ, गुरुमवि सो होइ सम्ममीसाणं । अहियतिपल्ला गरदुग-उच्चाणाधब्ध विणयं ॥४३०॥ तिपणिदियतिरियेसु, तिरियच्च लहुमणसम्ममीमाणं । ऊणा गुरुकाठिई, गुरु ण सेमपणवीमाए ॥४३१॥ लहुमाघन्य गतिगे. चउवीमाउ अणसम्ममीमाणं । छह भवे उक्कामं, देसूणा जेहकार्याठई ॥४२॥ विउवेगारसगस्स 3 कोडिपुहुत्तं हवेज पुत्राणं । पन्लासंखिय भागो, आहारसगम्स णऽसि ॥४३३।। दुहिगक्खे काये लहु-मेगक्खसुहमियरेसु तिरियव्य । णरदुगउच्चाण गुरु, ऊणगुरुठिई ण सेसाणं ॥४३४।। दुपणिदितसेसु दुहा, सम्मदुगाहारसगतिआऊणं । (गीतिः) अणतिग्यिाउविउविगारणम्णुपुब्बीण य लहुमोघव्व ।।४३५॥ ISण्णाणऽहियतिपल्ला, तिरियाउस्स गुरुमूण जेट्टाठई ।(गीतिः) सेसाणेवं जयणे, ण सुरदुगविउवसगाणपुवीणं ॥४३६।। पल्लासंखियमागो, हवेज्ज आहारसत्तगस्स लहु । एवं चक्खुब अहव, पणिदियव्वऽत्थि सण्णिम्मि ॥४३७|| लहुमणसम्मणिरयदुग-ताऊणोघन्य थीपुमेसु दुहा । पन्लासंखियभागो, आहारसगस्स ऽण्णेसि ॥४३८॥ गुरुमूणगुरुठिई अण-णिरयदुगाणऽहियतिपलियाऊणं । दोण्हऽहियगुरुभवठिई, सेसाण पुमे सिमोघव्व ॥४३९।।

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