Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 66
________________ द्वारम् ] स्वोपन-हेमन्तप्रभाणिसमलङ तोक्तरपयडिसत्ता । ३३ ओघव्व अणाणदुगे, अभवे मिन्छे य आउगाणासु। अमणे य विउविगारम-गरदुगउच्चाण णण्णेसि ॥४२०॥ सव्वाणोपव्व भवे, अचक्खुमविएसु मम्ममीमाणं । (गीतिः) तहऽणाण छलेसासु, लहुमोघच्च गुरुमूणजेडठिई ।।४२१।। परमृणिगनीसुदही, सुकाअ लहु तिसु णग्दुगुच्चाणं । (गीतिः) आहारसगस्स य तिसु,समयो ऽन्तमुहुत्त गुरु ण सेसाणं ॥४२२॥ मव्वाणाहारे लहु- मोघव अतिरियाउग ण गुरु । ऊणा गुरुकाठिई, छब्बीसाए ण सेसाणं ॥४२३।। सव्वाण णत्थि अण्णह, णवरि हवेज दुविहं मुहुत्तंतो । (गीतिः) तिरियमणुशाउगाणम-पजपणिदितमउरलमीसेसु ॥४२४।। अप्पज्जपणिदितिरिय-पणिदितससमविगलतिकायेसु । तहुरलमीसे समयो, मणयदुगुच्चाण होइ लहु ।।४२५॥ जेट्ठ तमुहुत्तं, सिं एगिदियसगे-लहु समयो । गुरुमोघव्वेगक्खे, छसु ऊणा जेट्टकायठिई ॥४२६।। सव्वणिरय अणणुत्तर-देवछलेसासु सम्ममीसाणं । पल्लासंखियभागो, जहण्णमंतरमसत्ताए ॥४२७।। अंतमुहुत्तमणाणं, छह वि गुरुमृणजेट्टकाठिई । (गीतिः) णवरि सुरे सुक्काए , ऊणिगतीसजलहीण सेसाणं ।४२८॥ मिच्छाउतिगाहारग- सगाण तिरिये ण चउअणाण दुहा । ओषध लहुं पल्ला-संखंसो सोलसेसाणं ॥४२९॥

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