Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 70
________________ द्वारम् ] स्वोपज्ञ हेमन्तप्रभाणिसमलङ्कृतोत्तरपडिसत्ता [ ३७ तह जत्थ कालो गुमकायद्विदिप्रादी उत्तो तत्थ अंतरं जहसंभवं गुरुकायट्ठिदिआदि देसूर्ण मणिदव्वं पारंभताण तरे पलाहादु । तं महा-सव्वणिरयप्रपज्जनबज्जपणिदिर्यातरियस्गि-परतिग भवण. वदि-वंदर-जोदिस -दुवालसकप्प--णवगेविज्जगतुर-अपय्यतवज्ज. पंचिदियदुग-तसदुग-थीम व प्रदुग-चक्खदरिमण-लेसाछ क. सण्णिआहारिमग्गणासु तेवण्णाअ सम्मत्त मिस्समोहाण देसृणगुरुकायदिदी, तिरियोह-पणिदिय तिरिय-पज्जत्त चिदियतिरिक्ख-मरणस्सोह-पय्यत्तमणुस्स मागणासु पचसु अणताणुबधि चदुगस्स देसूणपल्लतिगं, दुवालसकप्पसुर-ण वगेविज्जगसुर-तेउलेसा-पउमलेसा. मग्गणासु तेवीसान प्रणंताणुबंधि च उक्स्स देसूणजेटकाय दिदी, पणिदियोह-पज्जत्तपणिदिय-तसकायोह--पय्यत्ततस काय-थी--पुम चक्खु सणि पाहारिमग्गणासु नवसु गराउ.माहार सभागाण देसूणुक्कोसकायट्रिदी प्राह रिमगणाप्ररिणरयाउ-सुराउ-वेउवंगारसगं. गरदुग-उच्चगोदाण वि देसूणजेटकाटिदी गुरुसत्ततरं होदि । ___एवं सव्वणिरय पणिदिर्यातरियोह पय्यत्तपणिदियतिरिय. तिरश्ची-मणुस्सोह- पज्जत्तमणुस्स-माणुसी भवणवइआदिगेविज्जगपज्जंतसुर-सुक्कवज्जलेसापंचगलक्खणासु तिचत्तालीसान मग्गणासु सम्मत्तमोहणीय-सम्मम्मिच्छत्तमोहणीया-ऽणताणुबधिचदुगाण छण्ह, एगिदियोह- सुहमेगिदियोह- बायरेगिदियोह कायजोगमगरणाचदुगे मणुयदुगुचगोदाण पंचिंदियोह-पय्यत्तपंचिदिश-तसकायोघ-पज्जत्ततसकायमग्गणाचदुगे प्रणंताणबधिचदुग-वे उठवेगारसग-मणुशणु. पुग्धोण, थोवेद-पुवेद-चक्खु सण्णिमग्गणाचदुगे प्रणतःणुबधि कदुगस्स संजममग्गणाम आहारगसतगस्स देसूक्णुकोसकायट्टिदी उक्कोसमसत्तरं मर्वाद। विसेसदो पुरण तिरियोहमग्गणाप्र सम्मत्तमोह-मिस्समोहाण णपुंसगवेदमग्गणाम सम्मत्त-मीसमोहणीया-ऽऽहारगसत्तगाण मसंजम.

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