Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ 1 १४ । मुनिश्रोवीरशेखर विजय रचिते सत्ताविहाणे [ काललहुजेडो धुवसत्ता - तिरियाऊण लहुजेटुकार्याठई । (गीतिः) वरि पर्णिदितसेसु, तिरियाउस्स उ लहू मुहुत्त्तो ||२८५ || सेसाऊण जहण्णो, भिन्नमुहुत्तं पणिदियतसेसु 1 जेडो विभवे अण्णह, होइ सगुरुभव ठिइतिभागो ||२८६ ॥ सेसाण लहू समयो, गुरुकायठिई गुरू भवे णवरं । लहुकायठिई णरदुग- उच्चाणे गिदियम्म लहू ||२८७|| विउवेगारसगस्स व अमणे सिं चउदसह वि लहुठिई । एगिंदिये णिगोए, पण काछवायरो हेसु ।। २८८ । । · छोह हम भेएस पत्ते अवणे तहा अपण्णिम्मि । पल्लासंखियभागो, गुरु रदुगुच्चवजवीसाए || २८९|| (गीति ते अणिलेसु तेसिं, सुहमोहेसु तह बायरोहेसु । पल्लासंखंसो णर- दुगउच्चाणं पि होइ गुरू ॥ २९०॥ असमत्त पणिदितिरिव्व अपजणारे परं दुआऊणं । वच्चासो होइ लहू, लहुट्टिई णरदुगुच्चाणं ||२९१॥ .. ओघव्वाउजिणाण दु-पणिदितसचक्खुसण्णिगेसु लहू । ( गीतिः ) आहारेऽन्तमुहुत्तं, सत्तसु सेसाण सगुरुकार्याठिई ||२२|| प्रेसाण लहुठिई पर-माहारेऽणचउगस्स समयोऽत्थि । (गीति सुवोधव्व दुदंसण-तिआउआहारसगजिणाण गुरू ||२९३ || विवेगार सगस्स वि, ओघव्वाहारगे ऽहियतिपन्ला । ( गीतिः ) तिरियाउस्स छसु भवे, सत्तसु सेसाण सगुरुकायठिई || २६४ || । (गीतिः) - घाइचउआउजाइणिरयतिरिसुरथावरायवदुगाणं विउवाहारगसगजिण - साहाराण समयो लहू काये || २६५||

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138