Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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२६ ]
मुनिश्रीवोरशेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे | काल
तहत्तणादो, मग्गणापरावत्तिआदित्तो पुण गिरयोहादिमग्गणासु समयमाणो वि जहण्णो सत्ताकालो होदि ।
धुवसत्ताकप्परहिदाण अधुवसत्तागाण पुण जहसंभवमट्ठावोसान अधुवसत्तागत्तणेण चेव सादिसंतभंगगदो चिअ सत्ताकालो लब्मदे।
तह उव्वलणाजोग्गाण तेवीसान पयडीण उव्वलणाकालस्स पल्लोवमासंखभागमत्तत्तेण तदो गुणकायट्ठिदिगमग्गणासु मग्गणागुरुकायटिदिमाणो गुरुसत्ताकालो जहसंभवं ताण संभवदि। ___ तहा मोहे पल्लोवमासंखभागदो अहिगट्ठिदिगासु मग्गणासु वि य जहि जाण केवला उव्वलणा अस्थि बंधादी य गस्थि, थोवकाला वा-ऽत्थि तहि ताण सत्ताकालो पल्लोवमासंखभागोहुवदि, उचलणाकालस्स तहत्तणा । जहा पोहे जिरयगइप्रोधादिमग्गणासु प्राहारग. सत्तगस्स, एगिदियोहादिमग्गणासु सम्ममीसाण वेउव्वेगारसगस्स य, तेउक्कायोघ-वायुकायोहादिमग्गणासु मणुयदुगउच्चगोआण ।
सम्मत्त मीसमोहाण पुण ओघ-पगिदियोह-पज्जतपणिदियतसकायोघ-पज्जत्ततसकाय-पुवेद-चक्खु-प्रचक्खु-भविय-सण्णि-माहारगमग्गणासु साहिय-मिस्संतरियखओवसमसम्मतजिटुकायटिदिदुग. पमाणो साहियबत्तीसुत्तरसागरोवमसयपमिदो गुरुसत्ताकालो होदि, अट्ठावीससंतठाणकालस्स तहत्तणादु। मिस्समोहणीयस्स पुण अट्ठावीस-सत्तावीससत्ताहाणदुगगुरुसत्ताकालपमिदो सत्ताकालोऽस्थि । __एवं मग्गणागवसम्मत्तकालमाणो मइ-सुआ-ऽवधिणाणतिग.
ओहिररिसण-सम्मत्त-खमोवसमसम्मत्तमग्गणासु सजिटकाटिदि. मिदो, साहियमग्गणागदसम्मत्तकालपमाणो तिरियगइमग्गणाम साहियपल्लोवत्तिगपमिदो, थीमग्गणाम साहियपणवण्णपलिप्रो. वममाणो, रणसगवेआ-ऽसंजममग्गणादुगे साहियतेत्तीससागरोवम. मिवो, लेसामग्गणछक्के सुक्कोसकायटिदिपमाणो भोदि।

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