Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ द्वारम् ] स्वोपज्ञ हेमन्तप्रभाणिसमलङ्कृतोत्तरपडिसत्ता [२६ जत्थ सिद्धाण पवेसो अस्थि तत्थ मोहे प्रवेप्रा-उकसाय केवलणाण-केवलदरिसण-सम्मत्त-खइप्रसम्मत्ताऽणाहारिमग्गणासत्तगे य सप्पाउग्गाण पयडीरण प्रसत्ताकालो सादिअणंतभंगगदो मोदि, सिद्धजीवकालस्स तहत्तणादो । विसेसदो पुण अोहे विसंजोजिदाणताणुबंधिचदुगपडणेरण अणंताणुबंधिचदुगस्स, प्रधुवसत्तत्तणेण अधुवसत्ताण जिणवज्जारण सत्तावीसाअ य त्ति एगतीसाप सादिसंतभंगगदो वि असत्ताकालो लब्भदे। जिणणामस्स अधुवसत्तात्तणे वि सकयं य्येव सक्कम्मदाम लाहादु प्रसत्ताकालो सादिसंतभंगगदो ण हवदि तत्थ चदुवीससंतकम्मिगाविक्खाअ अयंताणबंधिच उगस्स अबंधकालमासिज्ज, पाऊण अवेइज्जमाणे सदि वेउव्वेगारसगस्स मणुयदुगउच्चगामाणं पाहारगसत्तगस्स य उज्वलिदे सदि असत्ताकालो पाविज्जदि। सम्मत्त-मोसमोहाणं पुण उव्वलिदे सदि पुण सम्मत्तप्पत्ति. विरहकालस्स प्रविक्खाम असत्ताकालो लब्भदे। सम्मत्त-मीसा-ऽहारगसत्तग-जिणणामाण उण प्रभव्वं पडुच्च अणादिअणंतभंगगदो, मन्वं समासिज्ज अणादिसंतभंगगदो वि मसत्ताकालो लब्भदे । अवेदा-ऽकसायमग्गणादुगे दरिसण सत्तग-सुराउ.जिणणाम पाहा. रगसत्तगाण सादि-संतभंगगदो वि प्रसत्ताकालो जहण्णो समयो, उक्कोसो तमुहत्तं भवदि, उवसमसेटिकालस्स तहत्तणादो। सम्मत्तमगरणा प्रणंताणुबंधिच उगा-ऽऽउच उगा-ऽऽहारगसत्तग-जिणणााण सोलसपयडीणं असत्ताकालस्स सादिसतमङ्गगदो वि जहुत्तमाणो होदि, गराउस्म अणुत्तरसुरास्सयेण उक्कोसो, सुराउगस्स उक्कोसो गरभवयुतयुगलिकभवाविक्खाअ, दोण्ह वि जहण्णा तह सेसचउदसगस्स दुविहो असत्ताकालो मग्गणाकालस्स सादिसंतभंगगदस्स तहत्तणादु ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138