Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ १० ] मुनिश्रीवीरशेखर विजय रचिते सत्ताविहाणे साद्यादिद्वा० माइप्रणाइधुवियरा, अणाण सत्ता अणाइधुवअधुवा । धुवसंताणऽण्णेसि, सेसाणं साइअधुवाऽस्थि ॥२५॥ साइधुवा.ऽस्थि असत्ता, धुवसत्ताण अणचउगवजाणं । णेया बत्तीसाए, अण्णाणं साइधुवअधुवा ॥२५॥ सत्ता ओघव्य भवे, अचक्खुभवियेसु णवरि णत्थि धुवा । (गीतिः भविये धुवसत्ताणं, चउहा दुअणाणअजयमिच्छेसु ॥२५५|| अभवम्मि अणाइधुवा, हवेज्ज पंचमु वि अधुव पत्ताणं । ' सप्पाउग्गाण दुहा, सव्वेमिं अस्थि सेमासु ॥२५६ । निदरिसणमोहचउप्रण-सुराउआहारसत्तगजिणाणं । (गीतिः) गयवेए अकमाए, तिहा असत्ता-ऽस्थि माइधुवअधुवा ॥२५७।। मम्मे होइ तिहा चउ-अणाउआहारसत्तगजिणाणं । (गीतिः) आउद्गाहारगसग-मिणाण खइए तिहा अणाहारे ।।२५८॥ घाइणिश्यतिरिणरसुर-तिगविउवाहारसत्तगाण तहा । चउ बाइजिणायवथावरदुगसाहारणुच्चाणं ॥२५९।। सेसाण पंचसु वि साइधुवा केवलदुगेऽस्थि सव्वेसि । सप्पाउन्गाणं खलु, सेसासु साइअधुवाऽत्थि ॥२६०॥ (हे.च.) "साइ०" इच्चाइगाहाटगं सुगमं । तत्थ प्रोहदो एगाअ गाहाअ सत्ताअ अण्णा असत्ताम ति गाहादुगेण णिरूविदं । पाएसत्तो गाहादुगेण संताप गाहाचउक्केण प्रसत्ताअ ति गाहा. छक्केण प्ररूविदं । विसंजोजिआणताणुबधीण पुणो पादसंभवेण मणताणुबंधिचउक्कस्स सत्ताअ साइत्तं संभवदि । ण पुरण सेसधुव. सत्ताकाण छठवीसोत्तरसयपयडोण तेसि सत्तुच्छेदे पादप्रभवर्णण पुण

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138