Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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८] मुनिश्रीवी शेखरविजयरचिते सत्ताविहाणे । स्वामित्व. देसंता तह सिद्धा. णराउगस्स इयराण अवसेसा । (गीतिः) णवरं मिच्छा वि णिरयणरसुग्दुगविउवमत्तगुच्चाणं ॥२३९॥ सत्तासामी तिमणुय-दुपणिदितसभवियेसु ओघव्व । आसिज्ज जीवभेआ, सप्पाउग्गाण ओघव ॥४०॥ पणमणवयकाय उरल- चउवेअकसायणाणपणगेसु । (गीतिः) संजमममहअछेअग-अहखायदरिमणच उगसुक्कामु ॥२४॥ सम्मखाअमण्णीसु, आहारियरेसु होइ ओघव । . अणच उगआऊणुव-समे-ऽस्थि सव्वे वि सेसाणं ॥२४२॥ सव्वे वि अत्थि अण्णह, सप्पाउग्माण णवरि तित्थस्स ।(गीतिः) गिरयऽजतिणिरयवि उव अजयकुलेसासु सामणदुगूणा॥२४३॥ सव्वणिरयेसु तिरियति-पणिदितिरियेसु भवतिगे । मासणहीणा गोया, आहारगमत्तगस्स खलु ॥२४४॥ (उपगीतिः) निरिचउगे देसजई, ण व णिरयाउस्स हुन्ति सम्माच्च । . . देवे . मोहम्माइग-गेवितेसु तित्थम्स ॥२४५।। घाइतिरियाउतेरस णामाण सजोगिणो णुरलमीसे ।। कम्मे तिन्थस्स उरल-मीसे सासाणमिच्छृणा ॥२४६॥ सासणसजोगिरहिआ, कम्मे णिरया उगस्स विण्णेया । देवाउस्स सजोगी, विण तित्थस्स उ अमामाणा ॥२४७॥ विक्कियमीसे सासण-रहिआ णिरयाउतित्थणामाणं । तित्यस्स अणाणतिगे,सासणवज्जा मुणेयव्वा ॥२४८॥ णारयतिरियाऊणं, ओघव हवेज्ज तेउपम्हासु । परिवज्जिअ सासायण-मीसा तित्थस्स विण्णेया ॥२४॥

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