Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 44
________________ कालद्वा ] स्वोपज्ञ - हेमन्तप्रमाचूर्णिसमलङ्कृतोत्तरपयडिसत्ता | ११ सत्ताअ प्रभवणादु साइतणं णत्थि । सव्वारण तीसुत्तरसदपयदोण धुवसत्ताकाण अणाइकाल दो संततिभावेण वत्तणादु सत्ताअ अणादितणमत्थि । श्रभव्वमासिज्ज कया वि प्रणुच्छेदेण धुवा । भवियमहिकिच्च विच्छेदसंभत्रा अधुवा । सेसपयदीरण अट्ठावीसाध प्रधुवसत्ताकत्तेण य्येत्र प्रणादिदा धुवदा य ण संभवदि, सादिदा अधुवदा य संभवदि । सतुच्छेदेण य्येव असत्ताअ लाहादु असत्ताअ अणादितणं णत्थि, सादित्ताय प्रत्थि । अधुवसत्ताकाण पुरण प्रधुवसत्ता कोण वि अणाइत्ता ण होदि, सादिशं य भर्वाद । ध्रुवसत्ताकाण अनंताणुबंधिवज्जाण छव्वीसुतरसदवयदोण उण पातश्रमावादी असत्ताअ अधुवदा ण हुवदि । अताणुबंधीण उण विसजोजिघ्राणं ताणबंधीण पदरणस्स संभवादु सेसाण प्रट्ठावीसाअ प्रधुवसत्ताकत्तणेण य अमत्ताअ बत्तीस यडोण प्रधुवदा प्रत्थि सिद्धा पडुच्च पादस प्रभावादु सव्वेमिट्ठावनाहियस दपयदीण असत्ता धुवदा प्रत्थ । एवं मग्गणा वि ओह गुमारेण सप्पाउग्गाणं सव्वपयदीरण सत्ताअ असत्ताअ अ साइप्राइस सयं बुज्झ । केवलं छउमत्थ-भवस्थI सिद्धाइजीवा पडुच्च मग्गणाण तहत दु तहातणं विष्णेयं । २५३ २६० ।। ॥ श्रथ चतुर्थं कालद्वारम् || अहुणा कालदारं निगवदि कालो अणाइणती, अणाहसंतो य साइसंतो य । (गीतिः) तिविहो सत्ताए चउ अणाण तइओ लहू मुहुत्तो ॥ २६१ ॥ देखणद्धपरट्टो, जेट्ठो सेसधुवसंत कम्माणं 1 दुविहो अणाइतो, अनाइसंतो मुणेयब्बो ॥२६२॥ णिरय- सुराऊण लहू. हवेज्ज दस साहिया सहस्ससमा । जेट्ठोऽत्थि पुव्वकोडिति भागहिया जलहितेत्तीसा ॥ २६३ ॥

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