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कर्मवाद और लेश्या
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उत्तराध्ययन ( ३४।३ ) में लेश्या का ग्यारह प्रकार से विचार किया गया
है'(१) नाम'
१. कृष्ण २. नील
३. कापोत (२) वर्णं'
१. कृष्ण२. नील
३. कापोत
४. तेजस्
५. पद्म—
६. शुक्ल
(३) रस *
१. कृष्ण२. नील-
३. कापोत
४. तेजस्—
५. पद्म—
६. शुक्ल
(४) गंध'
१. कृष्ण२. नील
३. कापोत
४. तेजस्
५. पद्म
६. शुक्ल
१. उत्तराध्ययन, ३४।२ २. वही, ३४।३ ।
३. वही, ३४।४-६
४. वही, ३४।१०-१५ । ५. वही, ३४।१६-१७ ।
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मेघ की तरह कृष्ण अशोक की तरह नील अलसी पुष्प की तरह हिंगुल की तरह रक्त हरिताल की तरह पीत शङ्ख की तरह श्वेत ।
४. तेजस्
५. पद्म
६. शुक्ल ।
तुम्बे से अनन्त गुना कड़वा
त्रिकुट ( सोंठ, पिप्पल और काली मिर्च) से अनन्त गुना तीखा
के
से अनन्त गुना कसैला
पके आम से अनन्त गुना अम्ल - मधुर
आसव से अनन्त गुना अम्ल, कसैला और मधुर खजूर से अनन्त गुना मधुर
मृत
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मटमैला
सर्प की गंध से अनन्त गुना अमनोज्ञ
"
11
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31
सुरभि कुसुम की गंध से अनन्त गुना मनोज्ञ
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