Book Title: Sanskruti ke Do Pravah
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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संस्कृति के दो प्रवाह
शिवस्वरोदय श्रमण भगवान महावीर
कल्याण विजय गणि (क० वि० शास्त्र संग्रह समिति, जालोर, सं० १९६८) षट् खण्डागम (सेठ सितावराय लक्ष्मीचन्द, मेलसर) सप्ततिशतस्थान समवायांग (अंगसुत्ताणि भाग १, जैन विश्व भारती लाडनूं) समवायांग वृत्ति (आगमोदय समिति, मेसाणा,
वृ० अभयदेव सूरि सन् १६१८) सागरधर्मामृत (मूलचन्द किसनदास कापड़िया, पं० आशाधर, टी० देवकीनन्दन सूरत, वी० सं० २४६६)
सि० शास्त्री पुखबोधा (पुष्पचन्द्र खेमचन्द्र, वलाद, बापा
नेमिचन्द्राचार्य अहमदाबाद, वी० सं० २४६६) पुत्तनिपात (महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, भिक्षु धर्म रत्न, एम० ए० सन् १६५७) सुवर्णभूमि में कालकाचार्य सूत्रकृतांग (अंगसुत्ताणि भाग १, जैन विश्व भारती, लाडन्) सत्रकतांग चणि (श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी
जिनदास गणि श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, सन् १६४१) । सूत्रकृतांग नियुक्ति (श्री गोडाजी पार्श्वनाथ
जैनदेरासर, पेढी, सन् १९५०) सूत्रकृतांग वृत्ति (आगमोदय समिति, जैन देरासर,
शीलाङ्काचार्य पेढी, सं० १९७३) संक्षिप्त जैन इतिहास संस्कृति के चार अध्याय (राजपाल एण्ड सन्स, डॉ० रामधारीसिंह दिनकर
कश्मीरी गेट दिल्ली, द्वि० सं०) संयुक्तनिकाय (महाबोधि सभा, सारनाथ, अनु० भिक्षु जगदीश काश्यप
वाराणसी, सन् १६६४) सांख्य कौमुदी सांख्य दर्शन भारतीय विद्या प्रकाशन, वाराणसी, सं० डॉ० रमाशंकर भट्टाचार्य सं० २०२२, संस्कृत कालेज, कलकत्ता, सं० १९६३) श्री भूपेन्द्रनाथ भट्टाचार्य स्थानांग (अंगसुत्ताणि भाग १)
जैन विश्व भारती, लाडनूं स्थानांग वृत्ति (सेठ माणकलाल चुनीलाल, अहमदाबाद, अभयदेव सरि सं० १६६४)
भद्रबाहु
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