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महावीरकालीन मतवाद
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में समाहृत होने वाले मतवादों की संख्या तीन सौ तिरेसठ बताई हैक्रियावादी मतवाद
१८० अक्रियावादी मतवादविनयवादी मतवादअज्ञानवादी मतवाद
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इन सब मतवादों और उनके आचार्यों के नाम प्राप्त नहीं हैं, किन्तु जैनों के प्रकीर्ण-ग्रन्थ' और बौद्ध एवं वैदिक साहित्य के संदर्भ में इनके कुछ नामों का पता लगाया जा सकता है।
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१. सूत्रकृतांग नियुक्ति, गाथा ११६ :
असियसयं किरियाणं अक्किरियाणं च होइ चुलसीती।
अन्नाणियं सतट्ठी वेणइयाणं च बत्तीसा॥ २. (क) षट्खण्डागम, खंड १, भाग १, पुस्तक २, पृ० ४२ ।
(ख) तत्त्वार्थवार्तिक ८।१, पृ० ६५२ ।
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