Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 03
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 15
________________ विषय विषय निर्देश पृष्ठ विषय २५९... अक्षणिक पक्ष में कार्यों की स्वनियतकाल व्यवस्था सुघट पृष्ठ २४६ ...अन्योन्यनययोः तत्तदविषययोर्वस्तुता २४६ ... गाथा — १० का विवरण २४६ ... अन्योन्य नय से तत्तद् विषय की अवस्तुता २४७ ...उत्पाद–व्यय - ध्रौव्ये नयद्वयस्य स्वस्वाभ्युपगमः २४७ ...उत्पत्ति-व्यय- स्थिति के बारे में नयद्वय का | २६०... अक्षणिक भाव में कारणतासिद्धि से अभिप्राय परिणामवाद सिद्धि २४८ ... गाथा – ११-१२ का विवरण २४८ ... द्रव्य का लक्षण उत्पाद - व्यय - ध्रुवता २४९... सविस्तरं उत्पादादेरन्योन्याविनाभावित्वोपपादनम् २४९ ... उत्पादादि तीनों के अविनाभावित्व का उपपादन २४९ ...इन्द्रियसंनिकर्ष के बाद अन्वयभान की उपपत्ति २५० ...सामान्यअबोधदशा में विशेषभान असंभव २५१ ...स्थूलावभास समुदितपरमाणुमूलक नहीं है २५१... स्थूल - एक स्तम्भादि के प्रतिभास में मिथ्यात्व अप्रमाण २५३ ...कारण-कार्य में अंशतः भेदाभेद का समर्थन २५३ ... अंशतः स्थूलता के अस्वीकार में बहुत नुकसान २५४... एक- स्थूलाकार को भ्रान्त मानने पर प्रत्यक्षलोपापत्ति २५४... भिन्न भिन्न परमाणुओं में पूर्वापर अनुवृत्ति का समर्थन Jain Educationa International २५५ ...शब्द-विद्युत्-प्रदीपादि में उत्तरपरिणामतः स्थैर्य २५६ ... वस्तु का पूर्वोत्तरपरिणाम - साधन सयुक्तिक .... उत्पादादि तीन में एकान्त से भेद या अभेद २५६ दुर्घट २५८ ... सत्त्व का श्रेष्ट लक्षण उत्पादादित्रय २५८ ...सदृश अपरापरक्षणप्रेरित एकत्व भ्रान्ति का निरसन २५९... क्षणिकवाद में चिरविनष्ट वस्तु से कार्य की आपत्ति १२ २६०... कारणव्यावृत्ति की कार्योत्पत्ति के लिये निरुपयोगिता २६१... अभेदबुद्धि हरहमेश भ्रान्त नहीं होती २६२ ...भाव क्षणिक मान लेने पर भी यथार्थोपलब्धिनियम नहीं २६२ . अनपेक्षत्व की तद्भावनियतत्व से व्याप्ति परिणामसाधक २६३ ... एकान्तमतसिद्धि में दृष्टान्ताभाव २६४ ...कथंचिद् अभेद के विना ग्राह्य - ग्राहकाकार अनुपपत्ति २६४ ... ग्राह्य-ग्राहकसंवित्तिअविभाग की तरह परमात्मा अविभाग २६५ ... स्वभावभेद ही आखरी भेदक होता है २६६ ... विशेष के विना सामान्य का असम्भव २६७... द्रव्य का लक्षण 'उत्पाद -स्थिति-व्यय' निष्कर्ष २६८ ... गाथा - १३-१४ का विवरण २६८ ... निरपेक्ष प्रत्येकमूल नय मिथ्यादृष्टि २६८ ...उभयभ्राहि तृतीयनय की कल्पना असत्य २६९... गाथा - १५ का विवरण २६९... स्वतन्त्र प्रत्येक सर्व नय दुर्नय हैं २७० ... गाथा - १६ का विवरण २७० ...उभयवादप्ररूपक कोई भी स्वतन्त्र नय नहीं है २७०... बाह्यवत् अभ्यन्तर पदार्थ भी उभयात्मक २७१... गाथा - १७ का विवरण २७१ ... एकान्तवाद में संसार की अनुपपत्ति २७२... गाथा - १८ का विवरण For Personal and Private Use Only - www.jainelibrary.org.

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