Book Title: Samyaktva Prakaran
Author(s): Jayanandvijay, Premlata N Surana
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti
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कुवा उपर गुरुजी जावे, मच्छ कच्छ मुद्रा करी दिखावे ।
__ धूप दीपे नैवेद्य फल धरावे, गोरी मळी त्यां गीत जगावे ।। अबीर गुलाल केशर चंदन, कर्यु पूजन जलदेव प्रसन्न ।
नोबत नगारां निशान फरके, छत्रीस वाजां सुणतां हरखे ।। भूमी शोधन नीत नीत थावे, कळशा मंडपमां जई मुकावे ।
नीत वरघोडा ठाठ अपार, हाथी रथ घोडा उपर अश्वार ।। नवग्रहनो पाट करावे, दश दिक्पाल दोइ पूजन थावे।
अष्ट मंगलिक मंगल काजे, मेरु देवता स्थापन छाजे ।। देव नुतरीआ शान्ती सुखरास, अखंड धूप दीप सुवास ।
डगले ने पगले दान देवाय, जाचक जनोनी आशीष लेवाय ।। अवसर उजवाल्यो लेखं न लीधुं, काम अविचल संघेज कीधुं।
धजा ईंडारो वासक्षेप कराय, धामधूमथी पूजन थाय ।। क्रिया करवामां खामी नव राखी, चडती करवामां हीमत दाखी।
जाजम के उपर ईकठा थावे, भलीचुंपेथी चढावा बोलावे ।। रणमा योधाने चढेज्युं शूर, दादानो अवशर हुंश भरपूर ।
___ लेवे चडावा पुरा पुनशाली, भवोभवनां कर्म प्रजाली ।। मुंता हीराचंद मुनीलाल उदार, नेमाजीको सोहे सरल परीवार ।
ईंडो चडावी राखी नीज टेक, खरच्या रुपैया पंचासीसो एक ।। शा धना हीराचंद हीरो वखाj,सजुजीके कूळप्रेमी प्रमाणुं।
डंड चडावी नाम ज कीधो, बत्रीसोएक आपी जश लीधो ।। प्रागचंद उकचंद फुलचंद नथमल, वीर भांणजीरो दरीआ समदिल।
धजा फरकावी कामज कीना, एकसठसो एक रुपैया दीना ।। भीमराज वजेंगजी विवेकी पूरा, दिसे दयालु वचनरा शूरा ।
वराजमान अजीतनाथ करावे, बावनसोए चडावो लेरावे ।। शा कुंदनमल करे अवीचल काम, मीश्रीमल नाताजीको धन धाम ।
वराजमान विमलनाथ करावे,दो हजारएक दई हरखावे ।। शीवराज पुखराज हांसाजी ओपे, आणा धर्मरी कबु न लोपे।
दोहजारएक खर्चे पुनवान, चंद्र प्रभु को करे वराजमान ।। शा शीरेमल गुणेशमलजी गुणजांण, पीस्तालीसो एक आपे कूलभांण ।
प्रभु रे तोरण बारे बंधावे, दुःख दालीद्र दूर हटावे ।। बालवाडा के वाशी सोहंद, पीराजी सुरजमल कुलचंद।।
करे वराजमान रुषभदेव, काम अवीचल कीधुंततखेव ।।
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