Book Title: Samyaktva Prakaran
Author(s): Jayanandvijay, Premlata N Surana
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti
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सरुपाजीरा वृधी लहंत, ओगणत्रीसो एक खर्चे पुनवंत ।
माघ सुद एकम सोम सोहाके, वीशस्थान करी पूजा भणावे ॥ शा कीशनलाल रूपचंद वखाणुं, हिमतमल मांगीलाल प्रमाणुं । भंवरमल अचलाजी आद .नोकारसीमां माल आबाद ।। शुभ भावना धरी विशेक, खर्चे रुपैया त्रण हजार एक ।
माघ सुदी मंगल वर्ताय, बारव्रतरी पूजा भणाय ॥ मूळचंद छगनराज सुभागी, तोलाजीकेरा शाणा वडभागी ।
नोकरसीमां नामना कीधी, ज्ञाती बन्धुरी सेवाज कीधी ॥ तीन हजार ऐकत्र दीना, धर्म अनुरागी रंगमें भीना ।
माघ सुद चोथ बुधवार दीन, ज्ञानावरण की पूजा पावन ।। मुंता प्रतापचंद जुहारमल पुनमचंद, मुनीलाल फोजमल घेवरचंद । सुमेरमल मीठालाल सुखवरीआ, भजाजीकेरा कूळे अवतरीया ॥ पांत्रीसो एक आपे प्रतापी, भवोभवरी भावठ कापी ।
माघ सुद पांच गुरु गुणकारी, पूजा रसीली नवाणुं प्रकारी ॥ नौकारसीमां जश विस्तारी, बेतालीसोएक आपे हितकारी ।
मुंता हीराचंद हर्ष अपार, मुनीलाल नेमाजी धर्मी अपार ।। माघ शुद छठ शुक्र सुख तेज, हरखद डुंगरचंद दिल हेज ।
दाखुं सपुत सुरताजी केरा, नवपद पूजे गुंणगंभीरा ॥ प्रभु वराज्या तख्ते जे दीन, फले चुंदडी बडी नोकारसी कीन ।
अढार हजार खरच्याज दांम, जाणे सौ जन प्रख्यात नाम ।। अढार वर्णने नहि झलपल, हरखचंद को दरी आव दिल ।
छोळो ज्युं समुद्रपूर, पीरसे सारथीआ वधीओ नूर ॥ जेना धुंवाथी आभ काजलीओ, सुवास लेवा शेषनाग सलसलीओ । माघ सुदी दिन सातम शनी, बडी सनात्र पूजा रसभीनी ॥ एकतालीसो एक आपे भलीपेर, नोकारसीमां आनंद लेर ।
प्रागचंद उकचंद फुलचंद नथमल, सुगालमल नेनमल मनोरमल ॥ भंवरलाल सुमेरमल सुजाण, हमीरमल वीरभांणजीरा कूलभांण ।
सुणजो आगे छे वात रसाल, ओछव आदर्यो संघे उजमाल ॥ गामोगामेथी आवे नरनार, सरता राखे छे संघ अपार ।
उतरवा सगवड कीधी अपार, वधी कीरती मरुधर मजार ।। नवनवां नीत करी पकवांन, जीमे महाजन चतुर सुजान ।
कुंभ स्थापना पेले दीन थाय, ईंद्र ईंद्राणी संघ समुदाय ॥

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