________________ तत्रानिश्राकृतं यत् साधुसत्तारहितं, यथा अष्टापदादिषु / निश्राकृतं यत् साधुनिश्रया क्रियते / श्राद्धदिनकृत्य 34 पेज त्रीश वरस सुधी कोइए विरोध न दर्शाव्यो तो आजे विरोध केम? आवी वात करवी बुद्धियुक्त छे ? जाणकारो तो कहे छे के विरोध तो ते समये पण हतो पण कारणसर के संयोगवशात् ते समये ए विरोधे जोर न पकड्युं होय तेथी आजे कोइ विरोध करी शके ज नहीं एम केम कहेवाय / एक भूल सामे कोइए तत्काल आंगली न चींधी, माटे भविष्यमां अनंतकाल सुधी कोई एनी सामे भूल जणाय तो अवाज उठावी शकेज नहीं आ तो रमुजी दलील कहेवाय / -जूलाई अगस्त 63 कल्याण मासिक पेज नं. 349-50 -श्राद्धदिनकृत्य कालप्रमाणार्धमाह-पक्खं किं मयैतानि व्रतानि पक्षं मासं वा यावत् अथवा यावज्जीवं गृहीतान्येवमनुस्मरतीति कल्याण मासिक पत्रिका के पेज नं. 818 जून 1987 पर रात को घंट बजाने का हिंसक जीव जीव हिंसा कर ले इस हेतु निषेध किया है / तो फिर वर्तमान में प्रभु भक्ति के नाम पर माईक द्वारा रात को भक्ति हो रही है वह क्या घटनाद से कम आवाज वाली है ? चतुर्विध संघ सोचे / Mesco Prints 080-22380470