Book Title: Samyaktva Prakaran
Author(s): Jayanandvijay, Premlata N Surana
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti
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चार श्रावको थया तैयार, भेटवा चर्णे हुंश अपार ।
टांडा मुकामे कीधां दर्शन, हर्ष अतीशय हैडुं प्रसन्न । गुरुवंदता अती आनंद, आव्या में चर्णे करी प्रतीबंद ।
चोमासा केरी विनती अमारी, लेवो गुरुजी हेते स्वीकारी ।। करवा अंजनशलाका मुहूर्त आपो, नकी करीने दिवस स्थापो ।
भावना भावी गुरुजी पधारो, करो आबादी कार्य सुधारो ॥ बोलावी मुहूर्त आप्युं, श्री संघ केरुं कष्ट ज काप्युं ।
गोळ धाणा त्यां प्रीते व्हेंचावी, जैन शासननी जय बोलावी ॥ दो हजार एक शुभ साल, माघ मास दूर टळे जंजाल ।
सुद छट्ठ ए उत्तम दन, गुरु बोले मुख सत्य वचन || जयविजयजी आपके शिष्य, मोकली गुरुजी आपे आशीष ।
करी विहार बाकरे आव्या, सर्व संघने दीलमां भाव्या ॥ धुं चोमासुं आनंद लेर, वर्ते सुखशान्ती घेर ज घेर ।
चातुर्मासमा लाभ अनेरो, धर्मध्यायननो ठाठ भलेरो ॥ इण रीतिसुं जय जय उचराय, चोमासुं पुरण व्यतीत थाय ।
झाबुवा नगरेथी करी विहार साथे शिष्यनो लइ परीवार ।। लब्धिविजयजी शिष्य सुहावे, गुरुसेवा कर लब्धि को पावे ।
शर बाकरा समीप आवे, सुणी श्रावको दिल हरखावे ॥
सजी सामेलो नर ने नारी, गुरु वांदवा करे तैयारी ।
ढोल नगारा वाजत्र बाजे, सोने सूरज उग्यो छे आजे ॥ गीत गावे छे नर ने नार, भेट्या जइ चरणे हुंश अपार ।
गुरुजी आगे ही रचाय, कीधां दर्शन तिहां सुखदाय ।। पुरमां पधार्या उपाश्रय स्वामी, उपदेश दीधी रखी न खामी ॥
करवा तैयारी सूचना दीधी, मनहर म्हेर गुरुवरे कीधी ॥ संघ मलीने करी तैयारी, जोइती वस्तुओ आणे ते वारी ।
शहेर बाकरे श्रावक सुभागी, धर्म प्रतापे थाय आबादी || परमीट मेळववा जोधपुर जाय, गुरु पसाये उन्नति थाय । वकील हस्तीमलजीने जइ मळीआ, जालमसिंहजी बुद्धीना बळीआ ।। कीनी मदद हेत जणावी, गोळ खांडरी छुटी अपावी ।
जोधाणनाथे सहायता कीधी, शुभ कीरती जगमां लीधी ॥ कडीआ सलावट संघ बोलावे, रुडुं पबासण इंडां बनावे |
रची मांडवो शोभा अपार, अनुपम गीत गावे नरनार ।।

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