Book Title: Samyaktva Prakaran
Author(s): Jayanandvijay, Premlata N Surana
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti
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कंकुपत्रिका पेली छपावी, गामोगामे सौ गामे पोचावी।
पधारजो सौ शोभा वधारी, शोभा शाशनरी वधे सुखकारी। पेन्टर तेडाव्या चीत्रामण करवा, गीरनार सीधगीरी पट चीतरवा।
कंट्राट विठलदासने देवे, दो हजार रुपैया लेवे ।। माल संघनो मेनत तमारी, एवी सरतेथी करे तैयारी।
___ काम पेन्टरे हाथज लीg, रुडुं चीत्रामण कामकाज कीर्छ । जोइती वस्तुओ सर्वे तैयार, संघे खामी नव राखी लगार।
जोषी पंडीत जती बोलावे, नवस्मरणना पाठ करावे ।। संघ शान्तीना काज सुहावे, देवी प्रसन्न अनुष्ठान थावे ।
शुद्ध मंत्रोना उच्चार थाय, गुरुपसायए जयजय उचराय ।। हवे सुणजो धरीने हाम, आगेवानोनां वर्णq नाम ।
तगराज गुणेशमलजी वखाणुं, शुकराज जेरुपजी कुलमा भानु ।। वीरमाणजीरा कस्तुरजी कर्मी, बडादयालु सुदिलावर धर्मी।
वजेंगजी सुत गोडीरेदास, प्रभु पूरजो मनडारी आस । शीरेमल जवाजी चतुर सुजांण, जवारमल मुलाजी दीसे पुनवान । ___मुळचंद तोळाजी मन उदार, मुनीलाल जुहारमल रहो सुखकार ।। उमेदाजी के पुत्र रतन्न, हरखचंद को प्रभु प्रसन्न।
सुलतानमल उदाजी के परवार, धन्य जीवन पुन्य अपार ।। हेमाजी धनाजी को धन धन, रहो सुखी ने चडती दिन दिन।
माघ वद बारस ने गुरुवार, नवपद पुजासें होवे सुखकार ।। भंडारी सागरमल हरखचंद, मीठालाल पुखराज को सुखकंद।
___ ओगणीसो एक खरच्या धरी खंत, धर्म प्रतापे जयजयवंत ।। उमेदाजी कूल अती आनंद, पेली नोकारसी दूरे दुःखकंद।
माघ वद तेरस रुडो शुक्रवार, पूजा पंचकल्याणक पुन प्रकार ।। दूजी नोकारसी संघ जीमावे, बत्रीसोएक आपी हरखावे ।.
भंडारी भीमराज हीराचंद घणुं जीवो, ओपे भूताजीरा कूळ दीवो । माघ वद चौदश शनी सुख करशे, दूष्ट उपाधी दूरे सौ हरशे।
नंदीसर द्वीप पूजा भणावी, त्रीजी नोकारसी उमंग लावी ।। शा जुहारमल रतन नवाजी नामी, स्हाय करसे अंतरजामी ।
__ ओगणत्रीसो एक आपे नीरधार, उरमां आनंद धरी अपार ।। माघ वद अमावास रवीवार, नोकारसी पूजा अष्टप्रकार । -शा सागरमल समरथमल मीश्रीमल, पार्श्वमल तीलोकचंद प्रबल ।।

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