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श्री बाकरा नगरे चातुर्मास, उपधान एवं प्रतिष्ठा महोत्सव
मरुधर देश में (राजस्थान में) जालोर जिल्ले में बाकरा नगर निवासियों के हृदय में धर्मभावना वर्षों से पल्लवित है । वि. २००१ में प्रतिष्ठोत्सव श्री तीर्थेन्द्रसूरीश्वरजी से करवाकर अनेक चातुर्मास, उपधान एवं श्री लब्धिचंद्रसूरीश्वरजी की आचार्य पदवी आदि अनेक धर्मानुष्ठान करवाकर नगर निवासियों ने लक्ष्मी का सदुपयोग किया।
मंदिर के जीर्णोद्धार की आवश्यकता जानकर विशाल जिनमंदिर बनवाने का निर्णय लिया और खातमुहूर्त, शीलारोपण आदि कार्य संपन्नकर मंदिर का कार्य प्रारंभ हुआ।
धर्मश्रवण की भावना से प्रेरित होकर श्री विद्याचंद्रसूरीश्वरजी के शिष्य एवं मुनिराज श्री रामचंद्रविजयजी कृपापात्र मुनिराज श्री जयानंदविजयजी आदि ठाणा का चातुर्मास करवाने का श्री संघने निश्चयकर विनती मुनिराज श्री की सहमति प्राप्तकर चातुर्मास करवाया
उस चातुर्मास का एवं प्रतिष्ठोत्सव का संक्षिप्त स्वरूप यहां दर्शाया है।
पूर्व में २००१ में हुई प्रतिष्ठा का श्लोका भी इसमें ले लिया है। जिससे पूर्व की प्रतिष्ठा का स्वरूप भी खयाल में आ जाय ।
बाकरा अंजनशलाकावर्णन श्लोको सरसती सीमरुं सद्गुरुपाय, रचुं श्लोको सुणजो सुखदाय ।
जंबूद्वीपमा भूमि है उत्तम, अनेक नर रत्नो जहां अनुपम ॥ मरुधर देशे बाकरा शहेर, सुखी रयासत आनंद लहेर ।
चांपावत राठोडनुं राज, जालमसिंहजी भूप शीरताज ॥ धुंखलसिंहजीरा धर्म अवतार, धारापती सम करते उपकार ।
क्षत्रीवट पुरण पुराणी रीति, राम राज ज्युं पाले छे नीति ॥ रक्षक प्रजा पर प्रेम अपार, धन्य कीरती धन्य अवतार ।
शोभा शेरनी गढ मालीआं सुन्दर, गाम बीचे एक दादानुं मिन्दर ।। कुवा तलाव अखूट नीर, वसे अढारे वर्ण सधीर ।
राज तरफसें इस्पीताल, वैद्यजी सोंहे पुष्करलाल ।। मेडीकल ओफीसर वर्ग हुंशीआर, सर्टीफीकेट मीला अपार । समकितवंता श्रावक सुहावे, करी विचार इक्ठा थावै ॥ गुरु करे जो चातुर्मास, पुरण होवे मनडारी आश ।
करावा प्रतीष्ठा हुंश घणेरी, भली भावना आणी भलेरी ॥ आगेवानो कीधो वीचार, जावुं गुरुजी पासे नीरधार ।
सूरितीर्थेन्द्र मालवामांही, नकी कर्तुं छे जावा सारुं त्यांही ॥
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