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श्रीगौतमस्तुतिः । (२) आ प्रति श्री हेमचन्द्राचार्य ज्ञानभंडार, पाटणमा रहेल प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजी ज्ञानभंडारनी छे. तेनो नंबर १२२९६ छे. पत्र. १ छे. परिमाण २६५४१९१५ से. मी. छे. प्रति सूक्ष्म अक्षरथी पंचपाठमां सुवाच्य रीते लावायेलो छे. आ प्रनिनी पा. संज्ञा रावधामा आवेली छे.
प्रथम प्रतिमां नव प्रलोकमां स्तुति समाप्त थाय छे. बीजी प्रतिमा स्तुतिना दशा लोक छे. आठमा अने नवमा लोकनो भावार्थ लाभग सत्रो छ, पण शाब्दिक रचनामा फेरफार छे. दशमो श्लोक उपसंहार-सूचक छे.
ला. द. भा. सं. विद्यामंदिरवाळी प्रतिमा स्तुतिनी अवचूरि विस्तारथी आपवामा आयो छे. परंतु कोई कोई स्थाने साधारण अशुद्धि छे. पाटणवाळी प्रतिमा अमुक अमुक स्थाने अवचूरि संक्षिप्त करेली छे. जे पाठांतर उपरथी जोई शकाशे. पाटणवाळी प्रतिमा आठमा थी दशमा लोक सुधीनो अवचूरि भिन्नतावाळी छे. जे आमां पाछळ आपवामां आवी छे. अवचूरि हावाथी स्तुतिनो भावार्थ समजवामां सरळता थाय छे..
आ संपादनमा नीचे प्रमाणे पुस्तकोनो उपयोग करवामां आवेल छे. (१) श्री सिद्ध हेमचन्द्र व्याकरण.
(प्रकाशक : आणंदजी कल्याणजी पेढी. अमदावाद. वि. सं. १९९१) (२) श्री सिद्धहेम शब्दानुशासन. (प्रकाशक : जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभा.. अमदाबाद.
वि. सं. १९९८) (३) श्री हैमप्रकाश महाव्याकरण उत्तरार्ध, (प्रकाशक : श्री श्रुतज्ञान अमीधारा शानमन्दिर
. मु. वेडा. वि. सं. २०१०) (४) श्री हैमबृहत्प्रक्रिया (प्रकाशक : हेमचन्द्र ग्रन्थमाला, अमदावाद ई. स. १९३१) (५) सिद्धान्तकौमुदी व्याकरण.
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