Book Title: Sambodhi 1975 Vol 04
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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७०
एयम्मि
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देस - काले अणुकूल - वयंस- वंद्र - मज्झ गओ । कोइ तरुणो सुरुवो आगच्छइ पट्टगं दटुं ॥ ५५३ पीण पट्ठिय- संधि - पत्थो कुम्मोचमाण- मिउ-चणो | कुरुविंद - चत्त-कदम ( ? ) - पसत्थ- जंघो थिरोरूओ ॥ कणय - सिलायल - समतल -विसाल-मंसल विभत्त-पिहु-वच्छो । भुयaas - भोग-दीहर पीवर थिर - बाहु-संघाओ || सो वीय-चंद्र-भूओ अडयण वयण- कुमुए विवोहितो | चंदाइरेग पिय- दंसणेण मुह पुण्ण- चंदे सो नियय-रू - जोव्वण लायन्ना ( ? ) - पीण- पीवर - सिरीओ सुरयारंभ-निमित्तं पत्थिज्जइ तत्थ तरुणी ॥
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सा तत्थ नथि जुवती मणम्मि पविट्ठो न होज्ज सो जीसे । सारइय-रयणि वितिमिर - समत्त - चंदाणणो तरुणो ॥ देवेसु आसि गो किर तेयस्सी ता ण होज्ज एक्कयरो इणमो त्ति इमो (?) वणिज्जंतो बहु-जणेणं ॥ सो पट्टगं उवगओ पेच्छइ कम पिच्छियव्वय- सरीरो । तं चित्तयम्म- करणं पसंमाणा इमं भइ || ५६०
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इसाह - ठाण-ठियओ पित्थमाणो सु
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हि सु निष्य-स्थिय - आसंभावत्त-वित्त (?) -खुभिय- जला । उद्घोय-धवल - पुलिणा समुह-कंता इहं लिहिया ॥ ५६१ सुठु कया पउम-सरा य बहल-मयरंद-परम-वण- किण्णा । दारुण रुक्खा य इमा नाणावत्यंतरा अडवी || ५६२ सुदनु वि सरयाईया हेमंत वसंत गिम्ह-पज्जेता । नियय-गुण- पुप्फ-फलया वणेसु सुनिरूविया रियवा ॥ ५६३ चक्काय जुवलयमणं नाणावत्यंतरं कथं सुछु | ठाणक-विसुद्धि-वियर्ड (?) अप्पर - नेह-संबद्धं ॥ ५६४ सलिल-गयं पुलि-गयं गयणयल-गयं च परमिणि-गयं च । काम निरंतर - जोइय- समाणुरागं अभिमंतं ॥ ५६५ पवर - रहस्स-ग्गीवो (१) निव्वकूलो (?) सकल - संहय सरीरो । सुदनु कओ चक्काओ किंसुग-निगरोवम सरीरो ॥ सुकुमाल - तणु-ग्गीवा अगलिय- कोरंट - नियर सरि-वण्णा । रमणमयत्तमाणी सुठु कया चक्कवाई वि । रुवेण रुत्रिय गुणो सुठु य संभग्ग - पायव - पयारी । हत्थी वि इमो लिहिओ जेट्ट पमाणेण माणेण ॥ ५६८ ओरमाणो य नदि मज्जतो य सलिले जहिच्छाए । मज्जिय- मेत्तो मत्तो किलिण्ण- गत्तो य उत्तिणो ॥ ५६९
५६६
५६७
आण्णाढिए-बाण- करे। ।
वयत्थो कओ वाहो ॥ ५७०
तरंगलाला
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