Book Title: Sambodhi 1975 Vol 04
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 372
________________ पाटण-चत्य-परिपाटी विरमवाडइ वंदिसु ए, जिनवर गुणि अभिराम त, फोफलियावाडइ निरषिमुं, जाई पातक नामि त. त्रिहुं भुवने भावठिहरण, गुणगण महि विख्यात त, मदनमलण वंछितकरण, जसु अधिका अवदात त. विवंदणीकवाडवाडइ भणउ ए, धम्में पयासणहार त, लहुडपणा लगि गुणनिल उ ए, निज कुल्लतणउ सिंगार त. भीमपड्डि भणसिउं भल ए, भाभउ पारसनाथ त, कमठमाण जीणई मल्यु ए, मुगतिपुरीन3 साथ त, कुमरपणइ नवकार कही, थापिउ जिणि धरणिंद त. दीप लेई उपप्तग्ग सही पहुत उ सिद्धि जिणंद त. मन आणंदइ आपणइ ए, आलस अगि निवारि त, पाडइ साह करणा तणइ ए, सीतलनाथ जुहारि त, अति मूरति रलीयामणी ए, हरष न हीयडइ माइ त, सामलइ दीठइ रति घणी ए, पेतल वसही थाइ त. वस्त पास जिणवर पास जिणवर नाण मई दिए, किरि जाणे सुरतरु फलिउ, कामवेलि मई वेगि पामीय, भुवन विचित्र सोहामणउ, नमिउ भावि मई सीस नामोय, आससेण रायह कुमर, वम्मादेवि मल्हार, जसु महिमा जागइ जगति, वंश इखाग सिंगार. भाषा भावन भावई चंगी, बासी अति नवरंगी. चामर ढालई पाखलि, नाचई छदिहिं आगली. वाजई वाजिन सार, गावई गुण मुविचार, इक नर चरचई चंदनि, इक नर साचवई मज्जन, इम लेई फूलह माल, करई इक दीप अमाल, इक फूल ढोवई आगलि, इक डहई धूप अनग्गल. ३, सन्दर्भ उपरथी आ स्थान हालनो भाभानो पाडो स भवे छे. २९ .

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